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कैसे होता है उपराष्ट्रपति पद का चुनाव

[Edited By: Rajendra]

Saturday, 6th August , 2022 11:54 am

आज देश के सांसद उपराष्ट्रपति पद के लिए वोट डालेंगे. एनडीए की तरफ से जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं विपक्ष की तरफ से मार्गरेट अल्वा उपराष्ट्रपति पद की दावेदार हैं. बहुमत की बात की जाए तो एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. विपक्ष में भी एकजुटता नहीं दिखाई दे रही है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने आज हो रही वोटिंग से खुद को दूर रखने का फैसला किया है. इस तरह विपक्ष की उम्मीदवार मार्गेरट अल्वा का दावा और भी कमजोर हो गया है.

उपराष्ट्रपति पद का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से होता है. जिसमें वोटर अपनी पसंद के उम्मीदवार को प्राथमिकता देता है. वोटर सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं चुनते हैं बल्कि उन्हें अपनी प्राथमिकता बतानी होती है.

राष्ट्रपति चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हिस्सा लेते हैं लेकिन इसमें विधानमंडल के सदस्य हिस्सा नहीं लेते हैं. मतलब राष्ट्रपति के चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में विधायक वोट नहीं करते हैं और सिर्फ सांसदों को ही इस चुनाव में वोट देने का अधिकार होता है. साथ ही राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों को वोट देने का अधिकार नहीं होता है लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं.

इस तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 788 वोट डाले जा सकते हैं और इसमें लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 243 सांसद शामिल हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल वोटों में से आधे से एक ज्यादा वोट मिलने पर जीत तय मानी जाती है. इस तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 395 वोटों की जरूरत होगी.

उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना जरूरी है. उसकी उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए. राज्यसभा सांसद बनने के लिए जो योग्यताएं होती हैं, उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार में भी वो सभी योग्यताएं होनी चाहिए. साथ ही एक उम्मीदवार को नामांकन के दौरान 20 सांसद प्रस्तावकों की भी जरूरत होती है. मतलब नामांकन के दौरान 20 सासंदों का समर्थन होना जरूरी होता है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत और राज्यसभा में 91 सदस्य होने के मद्देनजर धनखड़ को अपनी प्रतिद्वंद्वी पर स्पष्ट बढ़त हासिल है. उनके मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की जगह लेने की संभावना अधिक है, जिनका कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है.

एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत तय मानी जा रही है. दरअसल बीजेपी के साथ ही बसपा और तेदेपा भी धनखड़ का समर्थन कर रही हैं. साथ ही जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी और नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल ने भी धनखड़ का समर्थन करने का फैसला किया है. अकेले भाजपा के पास 394 वोट हैं. वहीं सहयोगी पार्टियों के वोटों को मिलाकर यह आंकड़ा 510 तक पहुंचता है.

वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मार्गेरेट अल्वा को कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, टीआरएस, एआईएमआईएम और जेएमएम का समर्थन हासिल है लेकिन इनका कुल आंकड़ा करीब 200 वोट का ही होता है. क्योंकि टीएमसी के रुख और विपक्ष में फूट के माहौल को देखते हुए मुकाबला बिल्कुल एकतरफा नजर आ रहा है यानी पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल धनखड़ की जीत सुनिश्चित लग रही है. विपक्षी दलों में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर मतभेद भी सामने आए हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने अल्वा के नाम की घोषणा से पहले सहमति नहीं बनाने की कोशिशों का हवाला देते हुए मतदान प्रक्रिया से दूर रहने की घोषणा की है। ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति चुना जाना तय माना जा रहा है.

धनखड़ यदि उपराष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं, तो यह एक इत्तेफाक ही होगा कि लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक ही राज्य के होंगे. वर्तमान में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं और वह राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं.

भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चयन के लिए मतदान शनिवार पूर्वाह्न 10 बजे शुरू हो गया. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले वोट डालने वाले सांसदों में शामिल थे.
मतदान शाम पांच बजे तक चलेगा, जिसके बाद मतगणना होगी.

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