- कैसे बनते है नागा साधू?
- कैसा होता है उनका जीवन
- जाने उनके जीवन से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें
यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होने वाला है। इस बार कुंभ में 45 करोड़ से ज्यादा लोगों के जुटने की उम्मीद है.जिसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. श्रद्धालुओं के साथ-साथ कुंभ में लाखों की संख्या में साधु-संत पहुंचते हैं और उनके लिए भी खास तैयारी की जा रही है।
महाकुंभ मेले में सबसे अधिक आकर्षण का केंद हैं देश के 13 प्रमुख अखाड़े। ये सभी अखाड़े शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों से संबंधित हैं और इन्हें मान्यता प्राप्त है. इनमें से 7 अखाड़े शैव संन्यासी संप्रदाय के हैं, जबकि बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं. इसी प्रकार, उदासीन संप्रदाय के भी 3 अखाड़े हैं. इन अखाड़ों के साथ ही उनके साधु- संत भी शामिल होंगे। सनातन धर्म में साधु और संत का विशेष महत्व है। कुंभ के मेले मे सबसे ज्यादा उत्साहित हैं नागा साधु. संगम में सबसे पहले पवित्र जल में यही नहाते हैं. इसे अमृत स्नान कहा जाता है. इस स्नान को शाही स्नान कहा जाता है।
कैसे बनते है नागा साधू
आपको बता दें अखाड़ों के द्वारा व्यक्ति को नागा साधु बनाया जाता है। पर नागा साधू बनना आसान नही राख मे लिपते नग्न शरीर, जलाजूट बाल, और सालों का तप, त्याग,साधु और संत अपने जीवनकाल के दौरान प्रभु का भजन और साधना करते हैं। इसके अलावा लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिसके द्वारा लोग अपने जीवन में भक्ति के बारे में समझ पाते हैं। साधु और संत में नागा साधु भी शामिल होते हैं। नागा साधु बनने के लिए कठिन प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है।
अखाड़ा न केवल साधु-संतों की बड़ी संख्या के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण गाथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। नागा साधु, अपने तप, संयम, और साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। हिंदू धर्म में साधु-संतों का एक ऐसा समूह है जो धार्मिक और शारीरिक अनुशासन का समन्वय प्रस्तुत करता है। नागा साधु मणिराज पुरी ने कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ सनातन की रक्षा करना है. आदि शंकराचार्य के वक्त से बनी नागा साधुओं की यह शाखा सनातन पर आए किसी भी खतरे से बचने के लिए है. हमारी हथियारबंद सेना है. मुगलों के समय अपने शस्त्रों के साथ इन लोगों ने लोहा लिया था जब वह सनातन के खात्मे को उतारू थे.