- बृज में हुई होली की शुरुआत
- बसंत पंचमी से लेकर लगातार 40 दिन होती है होली
- होली की शुरुआत बॉके बिहारी मंदिर से हुई
- बॉके बिहारी मंदिर में भक्तों का अपार जनसमूह
- बॉके बिहारी जी का श्रंगार ,भोग के बाद , होली
- बॉके बिहारी जी को लगाया गया रंग-गुलाल
- पूरे देश से आते भक्त होली खेलने
- भक्ती के रंग में डूबते दिखे लोग
होली का नाम आते ही ..मन में मथुरा और वृन्दावन की तस्वीर आखों में घूम जाती है जहां की होली को देख कर मन झूम जाता है…वैसे तो होली के दौरान देशभर में अलग ही धूम देखने को मिलती है। ये त्योहार को हिन्दू धर्म के लोग ही नही बल्कि हर धर्म के लोग मनाते हैं। इस दिन लोग आपसी बैर को भुलाकर एक दूसरे को रंग, गुलाल लगाते हैं और खुशियों के साथ पर्व का आनंद लेते हैं। पर उत्तर प्रदेश के मधुरा में होली से 40 दिन पहले ही बसंत पंचमी के दिन से रंगों का उत्सव मनाना शुरू हो जाता है।
बसंत पंचमी के मौके पर आज मथुरा जिले के वृंदावन धाम में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में अबीर-गुलाल के साथ होली का उत्सव मनाया जा रहा है। आज से आने वाले 40 दिन तक बृज में होली का उत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान लड्डूमार होली, लठ्ठमार होली सहित करीब 22 भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
बांके बिहारी मंदिर मे आज खेली गई होली
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बृज में बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही बसंत पंचमी के पावन दिन से होली की शुरुआत हो जाती है। यहां के सभी प्रमुख मंदिरों में आज गुलाल उड़ाने की शुरुआत हो गई है। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में आज जमकर गुलाल उड़ाया गया।
परंपरा के अनुसार, आज सबसे पहले ठाकुर जी का श्रृंगार किया गया। उसके बाद आरती हुई और फिर मंदिर के पुजारी ने भगवान को गुलाल का टीका लगाकर होली के पर्व की विधिवत शुरुआत कर दी। इस दौरान मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालुओं और पुजारियों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिली। सभी ने हर्षोल्लास के साथ गुलाल उड़ाया और एक-दूसरे को रंग लगाया।
बता दें कि हर साल बसंत पंचमी के दिन बृज के मंदिर में डांडा रोपड़ कर होली उत्सव का आरंभ होता है, आज ठाकुर जी को विशेष प्रकार के भोग लगाये जाते है जिसमें हलवा का भोग, मीठे चावल का भोग और बसंती रंग के पकवानों का भोग लगाया जाता है ..और उसके बाद गुलाल से होली खेली जाती है, होली की शुरुआत में यहां पर पूरे देश से भक्त गण पहुंचते है रंग-और गुलाल में सराबोर होकर भक्ती में झूमते नजर आते है..बांके बिहारी मंदिर का नजारा देखकर मन मस्ती में झूम जाता है..ये किसी बड़े उत्सव जैसा ही होता है.