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बिकरू गांव का इतिहास बदला, मधु बनी गांव की प्रधान

[Edited By: Aviral Gupta]

Sunday, 2nd May , 2021 03:47 pm

कानपुर। देश दुनिया में चर्चित हुए बिकरू गांव को आखिर चुनाव से अपना प्रधान मिल ही गया। 25 साल बाद चुनाव में हुए मतदान में गणना के बाद मधु ने जीत दर्ज करके इतिहास रच दिया है। यहां मधु और प्रतिद्वंद्वी बिंदु कुमार के बीच कांटे की टक्कर रही। कड़े मुकाबले के बाद मधु ने जीत दर्ज की है। उनकी जीत के बाद गांव में जश्न का माहौल है। यहां दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे, जबकि मधु और बिंद कुमार के बीच टक्कर मानी जा रही थी। कड़े मुकाबले के बीच मधु ने 381 वोट हासिल किए हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बिंद कुमार को 327 वोट मिले हैं।

पंचायत चुनाव में मतदान के बाद से बिकरू और पड़ोस के गांव भीटी गांव में चुनाव परिणाम आने से पहले ही आजादी जैसा माहौल है। यहां कुख्यात विकास दुबे का खौफ इतना था कि चुनाव तो दूर कोई भी उम्मीदवार बनने की भी नहीं सोच सकता था। हिस्ट्रीशीटर दुर्दांत विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद इस बार बिकरू में लोकतंत्र का सूरज चमका औा गांव में 25 साल बाद लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया और आखिर उन्हें प्रधान मिल गया है। यहां चुनाव परिणाम आने के बाद आरक्षित सीट पर मधु पत्नी संजय कुमार ने जीत दर्ज की है। उनकी प्रतिद्वंदी बिंदु कुमार 54 वोट से हारी हैं। गांव में उत्साह चरम पर है।

बताते चले कि कुख्यात विकास दुबे की धमक किसी डॉन से कम नही थी। उसके दबदबे के चलते बिकरू में 25 और भीटी में 15 वर्षों से निर्विरोध प्रधान ही चुने जाते थे। इन प्रधानों पर विकास दुबे का वरद हस्त होता था। बिकरू में विकास दुबे दो बार छोटे भाई की पत्नी अंजली दुबे को प्रधान बनवा चुका है, जबकि भीटी से भाई अविनाश दुबे तथा बाद में करीबी जिलेदार को निर्विरोध जितवाता रहा। बिकरू कांड के बाद कुख्यात के एनकाउंटर होने से उसका यह साम्राज्य टूट गया।

बिकरू गांव में 25 साल बाद लोकतंत्र का सूरज चमका तो पंचायत चुनाव परिणाम को लेकर मतदाताओं में आजादी के जश्न जैसा माहौल है। गांव में प्रधान बनाने को लेकर जनता में उत्साह है। बिकरू ग्राम पंचायत का पद आरक्षित होने के कारण यहां 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे और उनके भाग्य का फैसला मतपेटी खुलते ही हो जाएगा। वहीं भीटी ग्राम पंचायत पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित था और यहां पर 8 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। गांव वालों ने बताया कि प्रधान से लेकर बीडीसी व सदस्य के चुनाव नहीं होते थे। इस बार उन लोगों ने अपने मनमाफिक ग्राम प्रधान को बनाने के लिए वोट डाले हैं।

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