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कोरोना से अभी उबरे नही, आ गया ब्लैक फंगस- क्या है ब्लैक फंगस, क्या है बचाव के तरीके

[Edited By: Vijay]

Saturday, 15th May , 2021 02:49 pm

पूरे देश मे अभी कोरोना से जंग जारी है, पूरा स्वास्थ्य महकमा कोरोना के खिलाफ युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है, हम इस बीमारी की जंग को जीतने के लिये प्रयासरत है लगातार वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पूरे देश मे चल रही है पर इसी बीच एक नयी बीमारी का नाम सामने आ रहा है जो लोगो मे डर फैला रहा है..ब्लैक फंगस-

म्यूकोर्मिकोसिस, एक फंगल संक्रमण है जो कुछ कोविड-19 मरीजों में बीमारी से ठीक होने के दौरान या बाद में पाया जा रहा है. दो दिन पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार, राज्य में इस फंगल संक्रमण से पहले ही 2000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. 10 लोगों ने तो इसकी चपेट में आकर दम भी तोड़ दिया. कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी भी चली गई. महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार समेत कई राज्य इसकी चपेट में आ चुके हैं.

म्यूकोर्मिकोसिस कैसे होता है?

म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस, फंगल संक्रमण से पैदा होने वाली जटिलता है. लोग वातावरण में मौजूदफंगस के बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोर्मिकोसिस की चपेट में आते हैं. शरीर पर किसी तरह की चोट, जलने, कटने आदि के जरिए यह त्वचा में प्रवेश करता है और त्वचा में विकसित हो सकता है.

कोविड-19 से उबर चुके हैं या ठीक हो रहे मरीजों में इस बीमारी के होने का पता चल रहा है. इसके अलावा, जिसे भी मधुमेह है और जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है, उसे इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बताया कि, कोविड-19 रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है जिसके प्रमुख कारण है

अनियंत्रित मधुमेह

स्टेरॉयड के उपयोग के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना

लंबे समय तक आईसीयू/अस्पताल में रहना

सह-रुग्णता/अंग प्रत्यारोपण के बाद/कैंसर

वोरिकोनाजोल थेरेपी (गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाती है)

सामान्य लक्षण ?

हमारे माथे, नाक, गाल की हड्डियों के पीछे और आंखों एवं दांतों के बीच स्थित एयर पॉकेट में त्वचा के संक्रमण के रूप में म्यूकोर्मिकोसिस दिखने लगता है. यह फिर आंखों, फेफड़ों में फैल जाता है और मस्तिष्क तक भी फैल सकता है. इससे नाक पर कालापन या रंग मलिन पड़ना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और खून की खांसी होती है.
आईसीएमआर ने सलाह दी है कि बंद नाक के सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, खासकर कोविड-19 रोगियों के उपचार के दौरान या बाद में बंद नाक के मामलों को लेकर ऐसा नहीं करना चाहिए. फंगल संक्रमण का पता लगाने के लिए चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए.

कोविड से उबरने के बाद भी सावधानी बनाए रखें

कोविड-19 से उबरने के बाद, लोगों को गहराई से निगरानी करनी चाहिए और ऊपर बताई गयी किसी भी चेतावनी संकेत एवं लक्षण को याद रखना चाहिए, क्योंकि फंगल संक्रमण कोविड-19 से उबरने के कई हफ्तों या महीनों के बाद भी उभर सकता है. संक्रमण के खतरे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए. बीमारी का जल्द पता लगने से फंगल संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है.

 

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