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उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतें बचायेंगी अब गिद्धों को

[Edited By: Vijay]

Saturday, 4th September , 2021 05:23 pm

पर्यावरण में प्रदूषण के बढ़ते कई तरह के उपयोगी जानवर विलुप्त होते जा रहे है उनकी तादाद या तो बेहद कम हो गयी है या फिर वो अब नजर नही आते...जिनमें से गौरेया और गिद्ध सबसे ज्यादा विलुप्त होते जा रहे है.. गौरेया चिड़िया को बचाने की मुहिम भी शुरु हुई थी ..कई लोगों ने प्रयास भी किया पर वो अब भी बहुत कम संख्या में नजर आती है वही गिद्ध भी अब इक्का-दुक्का ही नजर आते है..गिद्ध जो कि एक ऐसा पक्षी है जो गंदगी में बैठकर गंदगी को साफ करता था पर विलप्त होने की कगार पर पहुंच चुके गिद्धों को संरक्षित करने और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए यूपी में ग्राम पंचायत स्तर पर मुहिम शुरू की जाएगी। ग्राम प्रधानों और वन्यजीव संरक्षण विभाग के सहयोग से शुरू होने वाले इस अभियान को लेकर शनिवार को आनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। संयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय की वन्यजीव संरक्षण संस्थान की विभागाध्यक्ष प्रो.अमिता कनौजिया का होगा। इसमें विद्यार्थियों को गिद्धों को संरक्षित करने के उपाय बताए जाएंगे, जिससे वे गांव-गांव जाकर प्रधानों को जागरूक कर सकें।

प्रो.अमिता ने बताया कि हर साल सितंबर के पहले शनिवार को अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस मनाया जाता है। कुकरैल स्थित घडिय़ाल संरक्षण व प्रजनन केंद्र की तर्ज पर जटायु संरक्षण केंद्र बनाने की सरकार की मुहिम भी चल रही है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव सुनील पांडेय की देखरेख में हर ग्राम सभा में गिद्धों के संरक्षण के लिए मुहिम चलाई जाएगी। सभी 75 जिलों में गिद्धों की संख्या का आंकड़ा भी तैयार किया गया है। प्रदेश के 822 ब्लाकों और 59,163 ग्राम सभाओं में गिद्धों को बचाने का अभियान प्रधानों के सहयोग से चलेगा

 नब्बे के दशक में 40 लाख थी संख्या: वन्यजीव विशेषज्ञ डा.जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि 90 के दशक में देश में गिद्धों की संख्या 40 लाख के करीब थी। मवेशियों को दी जाने वाली रोग प्रतिरोधक दवाओं और दर्द निवारक दवा डाइक्लोफनेक के कारण गिद्धों की किडनी डैमेज होने लगी और यही इनके विलुप्त होने का कारण बन गया। पूरे देश में गिद्ध की पांच प्रजातियां हैं और विश्व भर में कुल 22 प्रजातियां पाई जाती हैं। ये छह साल में यह अंडा देते हैं और एक बार में एक ही अंडा देते हैं। इनकी औसत आयु लगभग 37 से 40 साल होती है। इसे बचाने को लेकर कई समाजिक संगठनों को भी आगे आना होगा। गिद्ध प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षक होते हैं।             

 

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