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सरकार ने विद्युतकर्मियों की हड़ताल को असंवैधानिक घोषित किया

[Edited By: Rajendra]

Saturday, 18th March , 2023 01:25 pm

विद्युतकर्मियों की हड़ताल पर हाईकोर्ट के सख्त कदम उठाने के कुछ घंटों बाद ही राज्य सरकार ने भी सख्त रुख अपना लिया। सरकार ने हड़ताल को असंवैधानिक घोषित किया है और बिजली आपूर्ति में व्यवधान डालने और तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने काम पर न आने वाले आउटसोर्सिंग व संविदा कार्मिकों की सेवाएं भी तत्काल समाप्त करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को 1281 संविदकर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।

कई अभियंताओं के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज हुई है। देर रात पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने 19 हड़ताली संगठनों के पदाधिकारियों को हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भेजते हुए तत्काल हड़ताल समाप्त कर ड्यूटी पर लौटने के निर्देश दिए। गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की शुरू हुई हड़ताल के मद्देनजर सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने व्यापक वैकल्पिक इंतजाम करने का दावा तो किया लेकिन हड़ताल के चलते प्रदेश के कई हिस्से में बिजली की आपूर्ति लड़खड़ा गई। गांव से लेकर शहरों तक में घंटों बिजली की आपूर्ति ठप रहने से प्रदेशवासियों को तमाम दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।

कई जिलों में स्थानीय फाल्ट ठीक न होने और पानी सप्लाई ठप होने लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम के नंबरों पर सूचना देने पर भी शिकायतें दूर नहीं हो पा रही हैं। मुख्यमंत्री के क्षेत्र गोरखपुर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में उपकेंद्र ठप हो गए हैं। सोनभद्र की चार इकाइयों से 820 मेगावाट सहित उत्पादन निगम के प्लांट से 1030 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी ठप हो गया। यहीं के ककरी, बीना, कृष्णशिला व खड़िया कोयला खदानों की बिजली आपूर्ति ठप होने से सभी खदानों में खोदाई भी बंद हो गई।

बिजली-कोयला उत्पादन ठप होने से समूचे प्रदेश में संकट गहरा सकता है। इसी बीच शक्तिभवन मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिजली कार्मिकों व कुछ संगठनों की 72 घंटे की हड़ताल पूरी तरह से असंवैधानिक एवं किसी के हित में नहीं है। कुछ स्थानों से बिजली आपूर्ति के बाधित होने व क्षतिग्रस्त करने की शिकायतें मिली हैं। 33 केवीए की लाइन को गन्ना फेंक कर क्षतिग्रस्त किया गया है। रात में एसएलडीसी (स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर) के कार्य में भी बाधा उत्पन्न की गई। ऐसे असामाजिक तत्वों को कहीं से भी तलाश कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इसके अलावा एजेंसियों को नोटिस भी जारी की गई है। कॉरपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज ने बताया कि गाजीपुर में बिजली आपूर्ति के लिए काम कर रही फर्म भारत इंटरप्राइजेज को अपने कर्मचारियों को उपस्थित न करा पाने के कारण फर्म के महाप्रबंधक एवं सुपरवाइजर राहुल सिंह के विरुद्ध कोतवाली गाजीपुर में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। इसके अलावा छह अन्य एजेंसियों के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। देवराज ने कहा कि भविष्य में इन एजेंसियों को निगम में कार्य करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। सभी जिलों में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि काम न करने वालों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराई जाए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अराजकता फैलाने वाले बिजली कर्मी सूचीबद्घ किए जाएंगे। बिजली फीडर बंद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। सरकार प्रतिवर्ष 20 हजार करोड़ रुपये पावर कॉर्पोरेशन को उसका घाटा पूरा करने के लिए देती है।

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने हड़ताली कर्मचारियों को चेताया है कि लाइन में फॉल्ट करने वालों को आकाश-पाताल से खोज निकालकर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने आपूर्ति को पूरे नियंत्रण में बताते हुए दावा किया है कि प्रदेश में चार हजार मेगावाट सरप्लस बिजली है।

मंत्री ने डीजी विजलेंस (पावर कारपोरेशन) को निर्देश दिए कि स्थानीय पुलिस के सहयोग से ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करने वाले कार्मिकों का किसी भी प्रकार से उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा। शर्मा ने कहा कि बिजली का उत्पादन, मांग-आपूर्ति नियंत्रण में है। केन्द्रीय पूल से भी पर्याप्त बिजली मिल रही है। प्रदेशवासियों से धैर्य बनाए रखने का आह्वान करते हुए मंत्री ने कहा कि जल्द ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। शर्मा ने कहा कि संयुक्त संघर्ष समिति के कार्य जन विरोधी हैं इसीलिए कुछ और संगठनों ने कार्य बहिष्कार, हड़ताल से अपने आपको अलग कर लिया है।

कई राष्ट्रीय और निजी संस्थानों ने हड़ताल से निपटने के लिए अपने कुशल कार्मिक उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। एनटीपीसी, बजाज पावर, प्रयागराज का टाटा पावर, लैंको, केस्को, पावर ग्रिड कारपोरेशन, राज्य के बाहर की सरकारी कंपनियां एवं भारत सरकार की कंपनियां, संयुक्त उपक्रम अपने कार्मिकों की सेवाएं देने को तैयार हैं।मंत्री ने बताया कि ऐसी शिकायतें भी मिली हैं कि कुछ कार्मिक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर कर गायब हो जा रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें।

इनके स्थान पर दूसरे नौजवानों को नौकरी देकर कार्य कराया जाए। आउटसोर्सिंग मानवबल उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों को जिलाधिकारी के माध्यम से कार्मिकों की उपस्थिति चेक कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। मंत्री ने कहा कि पावर कारपोरेशन 93 हजार करोड़ रूपये के घाटे में है। 82 हजार करोड़ रुपये का बैंक लोन है। इसके बावजूद कई वर्षों तक कार्मिकों को बोनस दिया गया। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हड़ताल हो रही है तो कहीं और से प्रेरित है। देर रात पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के संबंधित आदेश की प्रति कारपोरेशन के निदेशक (कार्मिक) मृगांक शेखर दास भट्ट मिश्रा के माध्यम से सभी 19 हड़ताली संगठनों के पदाधिकारियों को भेज दी गई है। सभी से अपेक्षा की गई है कि वे बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए हड़ताल को तत्काल वापस लेकर ड्यूटी पर आएं।

देवराज ने बताया कि अब ड्यूटी न करने वालों के खिलाफ बेहद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उधर जिलों में बिजली संकट से लोग जूझते नजर आए। इसे देखते हुए प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई का सिलसिला भी शुरू हो गया। प्रयागराज में विद्युत सब स्टेशनों का निरीक्षण करने के बाद जिलाधिकारी संजय खत्री ने लगभग 1250 संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त करने का निर्देश दिया, जबकि एक अधिशाषी अभियंता के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करवाई है। आजमगढ़ में तीन जूनियर इंजीनियरों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हालांकि हिदायत के बाद छोड़ भी दिया। उधर, रायबरेली में 18, महोबा में सात, बांदा में पांच और औरैया में एक संविदाकर्मी की सेवा समाप्त कर दी गई है। मुख्यमंत्री के जिले गोरखपुर में सुबह से ही 40 उपकेंद्र ठप हो गए। बरेली में पांच सब स्टेशन पूरी तरह ठप हैं।

आगरा शहर की विद्युत आपूर्ति पर तो कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन देहात में व्यवस्था चरमरा गई। मथुरा के दो दर्जन से अधिक गांवों में बिजली गुल है। फिरोजाबाद में भी कुछ इलाकों में बिजली गुल रही।वाराणसी और आसपास के जिलों में जनता बिजली-पानी के लिए परेशान रही। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी के मुताबिक हड़ताल के चलते वाराणसी के रामनगर और चांदपुर औद्योगिक आस्थान की लगभग 500 इकाइयां ठप रहीं। बलिया में 44 में 38 सब स्टेशन बंद रहे। बिजली मंत्री एके शर्मा के गृह जनपद मऊ में बिजलीकर्मी दो गुटों में बंट गए और हड़ताल बेअसर रही।

बिजली कर्मियों की हड़ताल के बीच औरैया के डीएम प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव एसपी चारू निगम के साथ एक उपकेंद्र पर पहुंचे। वहां मौजूद स्टेशन आपरेटर सवालों के जवाब नहीं दे पाया तो डीएम ने कहा कि कहा कि बिजली बाधित की तो जमीन में गाड़ दूंगा। घटनाक्रम का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। डीएम ने बताया कि वह निरीक्षण करने गए थे। बिजली व्यवस्था बाधित न हो इसलिए कर्मचारी को चेतावनी दी थी।

हड़ताल के मद्देनजर कार्मिकों द्वारा जानबूझकर बिजली की आपूर्ति ठप किए जाने को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 139 व 140 का उल्लंघन बताते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद, विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल करेगा। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने उपभोक्ता हित में कड़े कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसे मामलों पर सरकार सख्ती से पेश आए। विद्युत कार्मियों की हड़ताल को लेकर हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए वर्मा ने कहा कि इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

संघर्ष समिति ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने हड़ताल से बिजली आपूर्ति पर व्यापक असर पड़ने का दावा करते हुए कहा कि उत्पादन निगम की 1030 मेगावाट बिजली उत्पादन की पांच यूनिटें ठप हो गई है। पारेषण लाइनें बंद होने के साथ ही उपकेंद्रों से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था भी चरमरा गई है। समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन को हड़ताल के लिए उत्तरदायी ठहराते हुए कहा कि बिजलीकर्मी, ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। दुबे ने ऊर्जा मंत्री द्वारा तोड़-फोड़ के लगाए गए आरोपों का प्रतिवाद करते हुए कहा कि बिजलीकर्मी, विद्युत संयंत्रों को अपनी मां मानते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे हैं। दुबे ने प्रशासन पर कर्मचारियों को बंधक बनाकर काम करवाने का आरोप लगाते हुए कहा कि घंटों काम करने से कई कर्मचारियों की तबियत बिगड़ गयी। हड़ताल से अनपरा में 210-210 मेगावाट क्षमता की दो, ओबरा में 200-200 मेगा वाट की दो तथा पारीछा में 210 मेगावाट की तीन नंबर यूनिट बंद करनी पड़ी। इसके अलावा अनपरा में 210 मेगवाट की एक तथा 500 मेगा वाट की एक एवं पारीछा में 110 मेगावाट की पहले से बंद एक यूनिट का कुल 1850 मेगा वाट का उत्पादन प्रभावित हुआ है।

1-शैलेन्द्र दुबे, संयोजक, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति 2-जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महासचिव, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ3- जीवी पटेल, महासचिव, राविप जूनियर इंजीनियर्स संगठन4- मनीष कुमार मिश्र, महासचिव, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम अधिकारी एसोसिएशन5-महेन्द्र राय, मुख्य महामंत्री, उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ 6-सुहैल आबिद, महामंत्री, उत्तर प्रदेश बिजली मजदूर संगठन7-पीके दीक्षित, प्रमुख महामंत्री, हाइड्रो इलेक्ट्रिक इंप्लाइज यूनियन 8-शशिकांत श्रीवास्तव, महामंत्री, उत्तर प्रदेश विद्युत मजदूर संघ9-मो. वसीम, केंद्रीय महासचिव, राविप प्राविधिक कर्मचारी संघ 10-योगेन्द्र कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, विद्युत कार्यालय सहायक11-विशम्भर सिंह, महामंत्री, यूपी बिजली बोर्ड इंप्लाइज यूनियन (उत्तर प्रदेश सीटू) 12-राम सहारे वर्मा, प्रांतीय महामंत्री, विद्युत कार्यालय कार्मिक संघ13-शम्भू रतन दीक्षित, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश ताप विद्युत मजदूर संघ 14-पीएस बाजपेयी, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राविप श्रमिक संघ15-जीपी सिंह, महामंत्री, विद्युत पैरामेडिकल एसोसिएशन 16-रफीक अहमद, अध्यक्ष, विद्युत मजदूर यूनियन (एचएमएस)17-देवेन्द्र पाण्डेय, महामंत्री, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ 18-छोटे लाल दीक्षित, प्रांतीय अध्यक्ष, विद्युत कर्मचारी मोर्चा संगठन19-आरवाई शुक्ला, अध्यक्ष, विद्युत मजदूर संगठन। 

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