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फ्रांस ने "इस्लामिक रेडिकलाइजेशन" रोकने वाला विवादास्पद बिल किया सार्वजनिक

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 10th December , 2020 06:10 pm

फ्रांस सरकार ने 'इस्लामिक रेडिकलाइजेशन' को रोकने के लिए लाए जा रहे 'विवादित कानून' से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक कर दीं जिसके बाद कट्टरपंथी मुस्लिमों का नींद उड़ गई है। फ्रांस की संसद के निचले सदन में इस सुरक्षा बिल को 24 नवंबर को पारित किया गया था। इस कानून के लागू होने के बाद मस्जिदों पर कड़ी नज़र रखी जाएगी, इस्लामिक ऑर्गनाइजेशंस को मिले वाली फॉरेन फंडिंग नियंत्रित होगी और कट्टरता के लिए बदनाम संगठन स्कूल नहीं चला पाएंगे। इस कानून के खिलाफ बीते दिनों पेरिस में हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें 37 लोग घायल हो गए थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस की सरकार "कट्टरपंथी इस्लामीकरण" से निपटने के लिए एक नया कानून बनाने की तैयारी कर रही है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इससे फ्रांस में मुसलमान और अलग थलग हो जाएंगे। इस कारण मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से लेकर पत्रकार तक सभी इस बिल का विरोध कर रहे हैं। पत्रकारों के मुताबिक इस बिल के जरिए सरकार सूचना की आजादी पर पाबंदी लगाना चाहती है। दरअसल इस बिल में पुलिसकर्मियों की तस्‍वीरों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ को उन्‍हें नुकसान पहुंचाने के मकसद से किया गया अपराध करार दिया गया है।

फ्रांस में हाल में पेरिस और नीस के आसपास तीन आतंकवादी हमलों के बाद ही फ्रांस की सरकार ने कट्टरपंथ की रोकथाम के लिए नए उपायों के बारे में सोचा है। सरकार ने लगभग 50 मुस्लिम संगठनों और 75 मस्जिदों की निगरानी बढ़ा दी है। फ्रांस का इरादा ऐसे लगभग 200 कट्टरपंथियों को देश से बाहर निकलाने का भी है जो फ्रांस के नागरिक नहीं हैं।

बुधवार को फ्रांस की कैबिनेट में पेश हुए इस बिल के तहत देश में सभी मस्जिदों की निगरानी बढ़ाई जाएगी। उन्हें मिलने वाली वित्तीय मदद और इमामों की ट्रेनिंग पर भी नजर रखी जाएगी।

इसके साथ ही इंटरनेट पर नफरत फैलाने वाली सामग्री पोस्ट करने के खिलाफ भी नियम बनेंगे और सरकारी अधिकारियों को धार्मिक आधार पर डराने धमकाने पर जेल की सजा का प्रावधान भी होगा। यह बिल 2021 के शुरू में संसद में पहुंच सकता है जिसके कुछ महीनों बाद इसे कानून की शक्ल दी जा सकती है। मस्जिदों के लिए भी चंदे की सीमा 10,000 यूरो तय कर दी जाएगी, इससे बड़े चंदे के लिए इजाजत लेनी होगी। इस बिल के मुताबिक पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की तस्‍वीरों के साथ उनका व्‍यक्तिगत विवरण दिया जाना भी अपराध की ही श्रेणी में आएगा।

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