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अनोखी 'पाद प्रतियोगिता', ऐन मौके पर माइक के सामने पदेड़ुओं को आई शर्म

[Edited By: Admin]

Tuesday, 24th September , 2019 02:16 pm

मंच सजा था, जज विराजमान थे, मीडियावाले तस्वीरें और वीडियो बनाने को बेताब थे, मेडल्स चमक रह थे और प्रतिभागियों के पेट में हलचल मची हुई थी.
मौका था रविवार को गुजरात के सूरत में आयोजित अनोखी 'पाद प्रतियोगिता' का.

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भारत के पहले 'पादशाह' का सूरत का चरण शांतिपूर्वक संपन्न हुआ, जैसी उम्मीद थी वैसी आतिशबाज़ी सुनने को नहीं मिली. रिपोर्ट्स की मानें तो करीब 200 प्रतिभागियों ने आवेदन भरा था लेकिन मौके पर केवल तीन लोग ही पहुंचे. आयोजकों ने फ़ैसला लिया की तीनों को ही मेडल दे दिया जाए. 

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पहला पुरस्कार Vishnu Heda को मिला, आमतौर पर जैसा होता है, चार लोगों के बीच पादने के बाद लोग सीधे मुकर जाते हैं और कहते हैं, 'मैंने कुछ नहीं किया.' ढाई हज़ार का इनाम पाने के बाद Vishnu Heda ने भी कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया.' 
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दूसरे प्रतिभागी सुशील जैन जो कि खाली पेट हिस्सा लेने पहुंचे थे लेकिन माइक के आगे खड़े होते ही नवर्स हो गए और तीन कोशिशों के बावजूद विफ़ल रहे. आयोजकों ने इसे 'Peformance Pressure' बताया. 

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इस मुकाबले में भाग लेने वालों को 'सबसे लंबी', 'सबसे धमाकेदार' और 'सबसे संगीतमय' पाद छोड़नी थी। देश में पहली बार हुए पदेड़ुओं के इस मुकाबले में तीन श्रेणियों में ट्राफियां दी जानी थी और तीनों श्रेणियों के मुकाबले का नामकरण कुछ इस तरह से किया गया था, 'सबसे लंबी पाद ट्राफी', 'सबसे धमाकेदार पाद ट्राफी' और 'सबसे संगीतमय पाद ट्राफी'। लेकिन मजे की बात यह है कि सारे पदेड़ुओं को ऐन मौके पर शर्म आ गई और मुकाबले में आखिरी में केवल तीन पदेड़ू ही उतरे।और ये भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दर्शकों को भी पार्टिसिपेट लेने के लिए आमंत्रित किया गया. लेकिन शर्म की वजह से कोई आगे नहीं आया. प्रतिभागी के रूप में महिलाओं ने भी आवेदन डाला था लेकिन एक भी हिस्सा लेने नहीं पहुंची. 

देश में बताई जा रही अपनी तरह की यह पहली प्रतियोगिता विफल साबित हुई क्योंकि इसमें हिस्सा लेने वाले तीन प्रतियोगी पाद नहीं छोड़ पाए और उनकी 'हवा' निकल गई। केवल तीन ही जांबाज ऐसे थे जो हमेशा ही हंसी मजाक का विषय बनने वाले 'पाद' से जुड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए शर्म छोड़कर हिम्मत दिखाते हुए आगे आए थे। आयोजक यतिन संगोई ने बताया कि वेसु क्षेत्र में स्थित एक 'बैंक्वेट हॉल' में आयोजित इस प्रतियोगिता के लिए 60 लोगों ने 'सबसे लंबी', 'सबसे तेज' और 'सबसे सुरीली' पाद का प्रदर्शन करने के लिए पंजीकरण कराया था। हालांकि रविवार को आयोजन स्थल पर मात्र 20 लोग ही पहुंचे।

शर्म के चलते मंच पर आए सिर्फ तीन प्रतियोगी

संगोई ने बताया कि इसमें से तीन व्यक्ति ही अपनी शर्म और संकोच छोड़कर मंच पर आए। ये अलग बात है कि इन तीनों की ही हवा खिसक गई। इस मुकाबले को देखने के लिए 70 लोगों के साथ कुछ मीडिया चैनल वाले भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता के विजेताओं के लिए तीन ट्रॉफी रखी गई थीं लेकिन इसमें से कोई भी ट्रॉफी बांटी नहीं जा सकी। हालांकि इस प्रतियोगिता में शामिल प्रतियोगियों को उपहार प्रदान किए गए। उन्होंने कहा, 'प्रतियोगी मंच पर जाने को तैयार नहीं थे क्योंकि उन्हें संभवत: शर्म आ रही थी और उन्हें वहां समाचार चैनल, फटॉग्रफर और लोगों की मौजूदगी के चलते संकोच हो रहा था। हमने पाद मापने के लिए एक विशेष उपकरण बनाने के लिए एक कंपनी से भी सम्पर्क किया था।'

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अगली प्रतियोगिता मुंबई में

प्रतियोगिता के असफल होने के बावजूद संगोई ने कहा कि उनकी योजना अगली ऐसी प्रतियोगिता मुम्बई में आयोजित करने की है। उन्होंने कहा कि वहां पर चेंबर मुहैया कराए जाएंगे जिससे प्रतियोगी दर्शकों की नजर से दूर रहेंगे। उन्होंने बताया कि मंच पर पहुंचने वाले तीन प्रतियोगियों में बारडोली के सुशील जैन, पाटण के अल्केश पंड्या और सूरत के विष्णु हेदा शामिल थे

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