कानपुर का गंगा मेला 20 मार्च यानि की कल मनाया जाएगा, इसको लेकर तैयारियों को पूरी हो चुकी है। इस दिन का लोग सालभर का इंतजार करते है, हर कनपुरिए ऐतिहासिक गंगा मेला को बड़े धूमधाम से मनाता है, भारी संख्या मे लोग, रंगों से भरे ड्रम, भैंसा ठेला, ऐसा नजारा शायद ही कहीं देखने को मिलता हो।

होली से 7वें दिन जो रंग खेला जाता है उसे गंगा मेला कहते है। कानपुर का ऐतिहासिक हटिया गंगा मेला 20 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन लोग रंगों से भरे बैग, रंगों से भरे ड्रम और भैंसा ठेला लेकर पूरे शहर में घूमते हैं और एक दूसरों को रंग, गुलाल लगाते हैं। ये रंग खेलने की प्रथा होलिका दहन वाले दिन से शुरू होकर अगले सात दिनों तक जारी रहती है।

मेले के दिन लोग रंगों मे सराबोर रहते है। मेले की सुबह से ही लोगो रंग खेलना शुरू कर देते है, इसके बाद रंगों के ठेलों का जुलूस हर आम-ओ-खास को रंग देगा। हटिया बाजार से निकलने वाले रंगों के भैंसा ठेले और सरसैया घाट पर रंगों में भीगे लोगों की भीड़ इसे और भी खास बना देती है. इस दिन थोक बाजार पूरी तरह बंद रहती है। शाम को सरसैया घाट पर धर्म और जाति के भेद मिटाते हुए पूरा शहर एक-दूसरे को होली की बधाई देता है।

कानपुर मे गंगा मेला का इतिहास काफी पुराना है, गंगा मेला हिंदू पंचांग के अनुसार अनुराधा नक्षत्र में मनाया जाता है। हटिया मेला कमिटी इसका औपचारिक ऐलान करती है। यहां से निकलने वाले रंगों के ठेलों को देखने लोग सड़कों और घरों के छज्जों से टकटकी लगाए रहते हैं। ठेलों और लोडरों में रखे ड्रमों से रंगीन पानी ऐसे फेंका जाता है कि दूसरी-तीसरी मंजिल तक लोग सराबोर हो जाते हैं। शहर के थोक बाजार से सटे बिरहाना रोड में तो विशेष तौर पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता आयोजित होती है।