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कोविशील्ड, मॉडर्ना और फाइजर का टीका कैंसर के मरीजों में भी कारगर

[Edited By: Vijay]

Wednesday, 22nd September , 2021 05:04 pm

कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान जो रिसर्च में बात निकल कर सामने आ रही है वो ये है कि कैंसर के मरीजो के लिये भी कोविशील्ड की वैक्सीन असरदार काम कर रही है जो कि वाकई एक अच्छी खबर है

कोरोना से बचाव के लिए कारगर वैक्सीन कोविशील्ड, मॉडर्ना और फाइजर कैंसर के मरीज़ों पर भी असरदार साबित हो रही है जिसका मरीज़ों पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है। वैज्ञानिकों ने अपनी इस रिसर्च को यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सम्मेलन में प्रस्तुत किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक कैंसर के मरीज़ों पर वैक्सीन का उपयुक्त और सुरक्षात्मक इम्युन रिस्पॉन्स देखने को मिला है। अध्ययन के मुताबिक वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज कैंसर के मरीज़ों पर और ज्यादा असरदार साबित हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पिछले कई अध्ययनों और जर्नलों में प्रकाशित रिपोर्ट को भी पेश किया जिसमें कैंसर के मरीजों पर कोविड 19 का प्रभावी असर देखा गया है।

कैंसर के मरीज़ों पर प्रभावी इम्यूनिटी विकसित करती है वैक्सीन:

कैंसर के मरीजों पर इन वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया गया था, क्योंकि कैंसर के इलाज के दौरान मरीज़ों की इम्यूनिटी बीमारी की वजह से पहले ही कम होती है तो ऐसे में वैक्सीन मरीज़ों के लिए सुरक्षित है या नहीं इस बात को लेकर डर था इसलिए इन मरीज़ों पर क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया गया।

पहले के अध्ययन में कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण से मिलने वाली सुरक्षा पर कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के संभावित प्रभाव का पता लगाया गया था। ताजा अध्ययन में यह साबित हुआ कि कैंसर के मरीजों में वैक्सीन कोविड के खिलाफ प्रभावी इम्युन विकसित करती है।

कैंसर मरीजों में एंटीबॉडी का पर्याप्त स्तर पाया गया:

शोधकर्ताओं ने मॉडर्ना के दो-खुराक टीके के प्रति उनमें प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए चार अलग-अलग अध्ययन समूहों में नीदरलैंड के कई अस्पतालों के 791 मरीजों को इस अध्ययन में शामिल किया। शोधकर्ताओं ने अध्ययन को प्रमाणित करने के लिए अध्ययन में कैंसर रहित व्यक्ति, इम्यूनोथेरेपी के साथ इलाज करा रहे मरीज कीमोथैरेपी से इलाज करा रहे रोगी और केमो-इम्यूनोथेरेपी संयोजन के साथ इलाज करा रहे रोगियों को शामिल किया। अध्ययन के मुताबिक दूसरी डोज देने के 28 दिनों के बाद कीमोथेरेपी प्राप्त करने वाले 84 प्रतिशत मरीजों में कोरोना के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी को विकसित होते पाया गया। इसके अलावा कीमो-इम्यूनोथेरेपी प्राप्त करने वाले 89 प्रतिशत मरीजों में और इम्यूनोथेरेपी करवाने वाले 93 प्रतिशत मरीजों में एंटीबॉडी का पर्याप्त स्तर देखा गया।

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