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राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई अब हर हाल में आर-पार के युद्ध में तब्दील

[Edited By: Rajendra]

Wednesday, 10th May , 2023 12:42 pm

राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले 'गहलोत बनाम पायलट' की राजनीति ने बड़ा मोड़ ले लिया है और कांग्रेस की चिंता को बढ़ा दिया है। कुछ महीनों पहले ही भारत जोड़ो यात्रा के समय राहुल गांधी राजस्थान आए थे और उस समय कांग्रेस ये दिखाने का प्रयास कर रही थी कि पार्टी एकजुट है। लेकिन, हाल ही में दिए गए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान और फिर सचिन पायलट की प्रेस कांफ्रेंस ने ये साफ हो गया कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक तो नहीं है। राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई अब हर हाल में आर-पार के युद्ध में तब्दील हो चुकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान के जवाब में आख़िरकार उनके जूनियर नेता सचिन पायलट भी फट पड़े। सचिन ने पहली बार गहलोत पर सीधे वार किए। वार और व्यंग्य पहले भी वे कर चुके हैं लेकिन बचकर, इधर- उधर से करते रहे हैं।

7 मई को अशोक गहलोत ने अपने ही मंत्रियों और विधायकों पर आरोप लगाया कि उन्होंने अमित शाह से 10-10 करोड़ रुपये लिए हैं। सीएम ने विधायकों को ये पैसे लौटाने की हिदायत भी दी। सीएम गहलोत के बयान के बाद 2 दिन तक सचिन पायलट ने शांति बनाए रखी, लेकिन फिर बीते मंगलावर प्रेस वार्ता के जरिए उन्होंने गहलोत के सभी आरोपों का जवाब दिया। इतना ही नहीं, राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर करप्शन का आरोप भी लगाया और इसके खिलाफ जनसंघर्ष पद यात्रा निकालने का एलान कर दिया।

इस बार ऐसा नहीं है। पहले गहलोत ने कहा था कि भाजपा से जिन कांग्रेस विधायकों ने पैसा ले रखा है, वे उसे लौटा दें, क्योंकि किसी का पैसा रखना नहीं चाहिए। पैसा किसी और का हमारे पास हो तो हम खुलकर काम नहीं कर पाते। एक तरह का दबाव हम पर हमेशा बना रहता है। जवाब में सचिन ने भयंकर पलटवार किया। कहा- जो मुख्यमंत्री अपने ही विधायकों पर इस तरह के आरोप लगाता फिरे, उससे आख़िर क्या और किस तरह की उम्मीद की जा सकती है? आरोप भी उन विधायकों पर, जिन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री की इस कुर्सी तक पहुँचाया।

इतना ही नहीं, सचिन ने यहाँ तक कह दिया कि जिनका पूरा जीवन ही पैसे के दम पर टिका हो, उन्हें उम्रभर पैसे के अलावा कुछ सूझता ही नहीं। इसलिए मुख्यमंत्री ऐसा कह रहे हैं तो इसमें कोई अचरज की बात नहीं है।

सचिन इस बार गहलोत के बयानों से बुरी तरह आहत दिखे। उन्होंने कहा हम भी बड़े-बड़े पदों पर रहे हैं। हम भी वर्षों से सार्वजनिक जीवन में हैं। आरोप लगाना हमें भी आता है। ज़ुबान हम भी खोल सकते हैं। लेकिन हम गालियाँ खा-खाकर भी चुप रहे। क्योंकि हमें संयम में रहना आता है। बार-बार अपने ही विधायकों पर आरोप लगाते रहकर आख़िर आप करना क्या चाहते हैं? किसे और क्या दिखाना चाहते हैं? कुछ तो स्पष्ट कीजिए! आख़िर इस उल्टी धारा का कोई तो अर्थ होगा? अगर है तो समझाइए। हम समझने को तैयार हैं। सचिन ने कहा- मैं डिप्टी सीएम था। मुझ पर राष्ट्रद्रोह की धारा तक लगाने की कोशिश की गई।

आख़िर मेरा क़सूर क्या था? हम दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान को शिकायत करने जा रहे थे तो दो साल से मानेसर-मानेसर चिल्ला-चिल्लाकर हमें बेइज्जत किया जा रहा है। कब तक सहें? क्यों सहें? हम भी पार्टी के सिपाही हैं। कार्यकर्ता हैं! क्यों चुप रहें? और कब तक?

इतना ही नहीं, अशोक गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाते हुए सचिन पायलट ने कहा कि वह डेढ़ साल से अपनी सरकार को चिट्ठी लिख रहे हैं ताकि राजे के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की जांच हो सके, लेकिन अशोक गहलोत इसपर कोई एक्शन नहीं ले रहे। एक तरफ सीएम कहते हैं कि बीजेपी ने कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश की, दूसरी तरफ कह रहे हैं कि वसुंधरा ने कांग्रेस की सरकार बचाई। उनके इस बयान से साफ होता है कि तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार में करप्शन के मामलों की जांच क्यों नहीं कराई जा रही है।

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने नए राजनीतिक दल की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे कांग्रेस में ही रहेंगे। प्रदेश में सात महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमे में खटास बढ़ती ही जा रही है। दरअसल, गहलोत जिस तरह से पायलट पर हमलावर हैं, उससे यही कयास लगा रहे थे कि सचिन कोई बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं।

लेकिन, मंगलवार को अपने आवास पर हुई प्रेस कांफ्रेंस में तमाम कयासों पर विराम लगा दिया। वैसे भी राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस एवं भाजपा का कोई तीसरा विकल्प अब तक तो खड़ा हो नहीं पाया है। या यूं कहें कि जनता ने स्वीकार नहीं किया। कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी, घनश्याम तिवाड़ी व डॉ। किरोड़ीलाल मीणा ने ऐसी कोशिश की, लेकिन कामयाबी मिली नहीं। आरएलपी नेता हनुमान बेनीवाल को इस चुनाव से बड़ी उम्मीद है।

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