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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट को लेकर बनी स्थिति को सुलझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने बैठक बुलाई

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 13th April , 2023 12:29 pm

सीएम गहलोत से पिछली वसुंधरा सरकार के घोटालों और भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर पायलट के अनशन और प्रेस कांफ्रेंस करने का मामला दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान में गरमाया हुआ है। प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के खिलाफ बुधवार को हाईकमान को रिपोर्ट सौंपी है। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान लेवल पर एक्शन के लिए चर्चा का दौर शुरू हो गया है। इसी मुद्दे पर गुरुवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के निवास पर मंथन बैठक बुलाई गई है। खड़गे के निवास पर सुबह 11.30 बजे से बैठक प्रस्तावित है। राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और केसी वेणुगोपाल भी बैठक में शामिल होंगे।

प्रभारी रंधावा ने बुधवार को दिल्ली में कहा था कि राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देंगे। पायलट पर पहले ही एक्शन होना चाहिए था, हुआ नहीं, लेकिन अब कार्रवाई होगी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा था कि मुझे दो दिन का समय दीजिए।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट को लेकर बनी स्थिति को सुलझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने बैठक बुलाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट को भी इस बैठक में अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया जा सकता है। इस संबंध में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की और उन्हें मौजूदा हालात से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट ने जो भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है, मैं उससे सहमत हूं, लेकिन उनका तरीका गलत है। उन्हें इसे विधानसभा सत्र के दौरान उठाना चाहिए था। सचिन पायलट के साथ आज आधे घंटे की चर्चा हुई और हम कल भी बात करेंगे। मैं विश्लेषण करूंगा। सभी चीजें और एक रिपोर्ट तैयार करें कि गलती किसकी है। उन्होंने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की, मुझे नहीं लगा कि यह पार्टी के पक्ष में है। मैं एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करूंगा।

रन-अप पार्टी के अध्यक्ष चुनाव में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति के बावजूद कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं करने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादारों के खिलाफ निष्क्रियता के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, श्री रंधावा ने कहा कि वह उस समय राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी नहीं थे। रंधावा ने कहा कि कार्रवाई अतीत में की जानी चाहिए थी लेकिन नहीं की गई लेकिन इस बार कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष श्री खड़गे ने सुखजिंदर रंधावा से रिपोर्ट लेने के बाद इस मामले को लेकर राहुल गांधी से मुलाकात की। रंधावा से रिपोर्ट लेने के बाद खरगे ने आज राहुल से भी चर्चा की है। अब राहुल इस पर सोनिया से चर्चा करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार की राय लेंगे। अंतिम फैसला खरगे का होगा।

पायलट की मुश्किल है इसलिए बढ़ सकती हैं, क्योंकि पार्टी हाईकमान की ओर से प्रभारी की पूर्व चेतावनी के बावजूद पायलट ने अनशन किया। इतना ही नहीं इससे एक दिन पहले की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पायलट ने यह बात भी सार्वजनिक की थी कि कांग्रेस हाईकमान को उन्होंने जो सुझाव दिए थे, उसमें एक प्वाइंट यह भी शामिल था कि पिछली वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच कांग्रेस सरकार यानी मुख्यमंत्री और गृह मंत्री होने के नाते गहलोत करवाएं, लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बयान को सीधे-सीधे कांग्रेस हाईकमान पर ही आरोप माना जा रहा है।

बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या युवा नेता सचिन पायलट पर कांग्रेस पार्टी कोई सख्त कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पाएगी। क्योंकि यह चुनावी साल है और राजस्थान में इसका बड़ा डैमेज कांग्रेस पार्टी को होगा। 25 सितंबर 2022 को समानान्तर विधायक दल की बैठक बुलाने के मामले में मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ पर ही अभी तक कोई कार्रवाई पार्टी नहीं कर सकी है। क्या पायलट की समझाइश की जाएगी या अब उन पर एक्शन लिया जाएगा, यही बड़ा सवाल है।

सचिन पायलट की प्रेस कांफ्रेंस के तुरंत बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के अनशन और प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए बयान को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दे दिया। कांग्रेस कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट से महासचिव जयराम रमेश और पवन खेड़ा जैसे नेता भी गहलोत के समर्थन में उतर आए। सूत्रों के मुताबिक सीएम अशोक गहलोत को इस मामले पर टिप्पणी नहीं करने के निर्देश हैं, क्योंकि पार्टी हाईकमान पूरे मामले को देख रही है और बयान भी जारी कर रही है। इसलिए गहलोत पायलट के आरोपों पर जवाब देने से बच रहे हैं। यह साफ संकेत देता है कि कांग्रेस हाईकमान गहलोत के साथ है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि गहलोत अपने विधायकों का बड़ा दल लेकर चलते हैं। जो इस्तीफा कांड के दौरान साबित भी हो चुका है, जबकि सचिन पायलट के पास 19 से घटकर अब गिने-चुने 12-15 विधायक ही हैं। जिन पर भी पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता है। पायलट मामले को लेकर पार्टी हाईकमान का क्या रुख रहेगा, इस पर सभी की नजर बनी हुई है।

प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सत्येंद्र सिंह रंधावा ने यह भी कहा है कि सचिन पायलट ने विधायक रहते वसुंधरा राजे के पिछले शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों को राजस्थान विधानसभा में क्यों नहीं उठाया? जो बातें वह अब बोल रहे हैं उन्हें प्रूफ के साथ सदन में क्यों नहीं रखा। उन्होंने ये क्यों नहीं कहा कि संजीवनी घोटाले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की भी गिरफ्तारी होनी चाहिए। प्रभारी रंधावा ने कहा कि कार्रवाई तो 25 सितंबर की घटना के बाद भी होनी चाहिए थी, लेकिन नहीं हुई थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सचिन पायलट भी दिल्ली में मौजूद हैं। माना जा रहा है पायलट भी प्रियंका गांधी समेत कुछ कांग्रेस नेताओं के लगातार टच में हैं।

ताजा संकट इस साल के आखिर में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सामने आया है। पायलट को मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी के रूप में देखा जाता है, लेकिन अशोक गहलोत, जिन्होंने कांग्रेस का राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ा था, जाहिर तौर पर उन्हें राज्य की बागडोर नहीं सौंपने के इच्छुक हैं। गहलोत के खिलाफ "विद्रोह" का नेतृत्व करने वाले पायलट के साथ 2020 में दोनों के बीच मतभेद तेजी से सामने आए थे। दोनों नेता पहले भी कई मौकों पर एक-दूसरे पर निशाना साध चुके हैं।

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