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क्या किसी डिवाईस से खत्म हो सकती है डायबिटीज-युवां इलेक्ट्रानिक इंजीनियर का दावा

[Edited By: Vijay]

Monday, 7th June , 2021 04:23 pm

आविष्कारों की रचना करने वालों की कला की पहचान पूरी दुनिया में होती है. कई अनोखे आविष्कारों के साथ कई नाम मशहूर हुए और आज भी हमारे ज़हन में मौजूद हैं. ऐसा ही एक अनोखा आविष्कार उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिलें के ही एक छोटे से गांव में रहने वाले इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर ने किया. पूरनपुर तहसील क्षेत्र के  गांव गोपालपुर के रहने वाला 32 वर्षीय दिव्यांग धर्मेंद्र को बचपन से ही पढ़ाई का शौक है. उसके पिता ने बताया  कि धर्मेंद्र बचपन से ही कुछ अलग करने की सोचता है और अपने साथ-साथ अन्य दिव्यांगों के काबिल भविष्य के लिए कुछ करना चाहता था. ऐसी सोच के चलते पढ़ लिख कर एएसआईटी कानपुर से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.

आपको बता दें कि धर्मेंद्र ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जिससे डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी महज़ कुछ दिन में ही खत्म हो जाएगी. यह डिवाइस कोई बहुत महंगी और बड़ी मशीन नहीं बल्कि एक छोटा सा बल्ब है. इस खोज के बाद ही अब इस इंजीनियर को बहुत सी विदेशी संस्थाओं से बुलाया गया है. लेकिन कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते वैज्ञानिक अपनी खोज को सरकार के सहारे छोड़ कर घर पर ही रहने पर मजबूर है.  परिवार ने बताया कि धर्मेंद्र की मां डायबिटीज से ग्रसित हुई और इलाज कराने के लिए घर वालों को अत्यधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे थे. धर्मेंद्र का कहना है कि मां विमला देवी को डायबिटीज की समस्या से जूझता देख उसने डायबिटीज के खात्मे के लिए उसने डायबिटीज के बारे में अनोखी खोजबीन शुरू की.

एक नहीं बल्कि कई डॉक्टरों से डायबिटीज की जानकारी जुटाई और चार साल के कठिन परिश्रम के बाद आखिरकार धर्मेंद्र डायबिटीज की जानकारी जुटाने में सफल हो गया. जिसके बाद डायबिटीज जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए कुछ अलग सोच के साथ अपनी खोज में जुट गया. लगभग 10 सालों तक डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी पर चली रीसर्च के बाद इंशोल्टी नामक एक डिवाइस बनाई. धर्मेंद्र का परिवार बेहद गरीब है. घर में छत तक नहीं है. ऐसे में इस पूरे घर का सहारा यह अविष्कार है. धर्मेंद्र ने अपने घर में झोपड़ी के नीचे एक छोटी सी लैब बना रखी है. जहां 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद इस अविष्कार किया.

इंशोल्टी देखने में एक साधारण बल्ब जैसा है लेकिन इंजीनियर का दावा है कि इस डिवाइस के सहारे 90 से 120 दिन के समय में ही पर डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी को खत्म किया जा सकता है.धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि इंशोल्टी डिवाइस बनाने के बाद उसने इस दवा का प्रयोग कर अपनी मां को डायबिटीज मुक्त कर दिया है. मां ने भी इसकी पुष्टी की और बताया कि उन्हें डायबिटीज की शिकायत हुई थी, जिसके बाद उनके बेट ने एक बल्ब डिवाइस बनाकर उसकी रोशनी में सोने की सलाह दी और साथ ही थेरेपी कराने के बाद उन्हें डायबिटीज पूरी तरह ठीक ही गई. उसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों में कई दर्जन लोगों को इसका फायदा हो चुका है.

धर्मेंद्र के पिता ने कहा "हम लोग साधारण परिवार से गरीब लोग हैं. किसी तरह से बच्चों को पढ़ा लिखाकर बड़े बेटे को बीटेक कराया. इसकी इच्छा नौकरीं से कुछ अलग हटकर करने के थी, इसलिए इसने यह बल्ब की खोज कर डायबिटीज को नियंत्रण करना सीख लिया. अब इसकी चर्चा दूर दूर हो रही है." इंशोल्टी डिवाइस बनाने के लिए धर्मेंद्र को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की संस्था लिरिक्स इंटरनेशनल कम्युनिटी ने डेमो देने के लिए बुलावा भेजा पर करोना काल के बीच लगातार लॉकडाउन जारी है, जिससे युवा वैज्ञानिक अपनी खोज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ना रख पाने पर मजबूर है.

धर्मेंद्र द्वारा किए गए अविष्कार के बारे में निजी चिकित्सक डॉ सुधाकर पांडे से जानकारी ली गई तो डॉक्टर सुधाकर पांडे ने बताया डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी हर 5 व्यक्तियों में से लगभग 3 व्यक्ति इस गंभीर बीमारी से परोशान हैं. देश दुनिया में अब तक कोई ऐसी दवा विकसित नहीं हो पाई जिससे डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी को खत्म किया जा सके. अगर ऐसा कोई अविष्कार सामने आया है तो निश्चित ही डायबिटीज के एक्सपर्ट को इस यंत्र का परीक्षण करना चाहिए. अब तक इस आविष्कार को मान्यता नहीं मिली है ना यह प्रमाणित है.

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