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बीएसपी की विधायकों से टूटती डोर

[Edited By: Arshi]

Wednesday, 16th June , 2021 05:15 pm


उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी कुछ बिखरती नज़र आ रही है, पार्टी से बीते दो साल के दौरान निष्कासित किए गए 11 विधायकों ने पार्टी सुप्रीमो मायावती के करीबी सहयोगी सतीश चंद्र मिश्रा को लेकर कड़ी नाराजगी जताई. इन विधायकों में से ज़्यादातर विधायकों ने मिश्रा पर मतभेद पैदा करने और सुप्रीमो मायावती को गुमराह करने का आरोप लगाया.
अब सिलसिला यह है कि यूपी में बहुजन समाज पार्टी टूटने की कगार पर है. कुल 18 में से 11 विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त कर दिए जाने के बाद बसपा आब टूटती नज़र आ रही है. बता दें कि इनमें से पांच विधायकों ने हाल ही में राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. उन्हें सपा में शामिल न होने की सलाह दी गई, क्योंकि इससे उनके दलबदल विरोधी कानून में घिरने का खतरा रहेगा. ऐसे में क्यास ये भी लगाए जा रहा है कि इन विधायकों ने 2022 में यूपी चुनाव लड़ने के लिए समाजवादी पार्टी से टिकट मांगा है.
इनमें से तीन विधायकों ने कहा कि मायावती से उनकी कोई नाराजगी या समस्या नहीं है, लेकिन सतीश चंद्र मिश्रा पर उनके और मायावती के बीच गलतफहमी पैदा करने का आरोप लगाया है. बीएसपी के निलंबित विधायक असलम अली रायानी ने कहा, 'मायावती वही करती हैं, जो मिश्रा उन्हें करने के लिए कहते हैं. वह पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं.' रायानी ने कहा कि अगर यह व्यवस्था जारी रही तो मुसलमान बीएसपी छोड़ देंगे.
वहीं सुषमा पटेल और हकीम लाल बिंद जैसे अन्य विधायकों ने भी घटनाओं के लिए मिश्रा पर दोष मढ़ दिया.बता दें कि सतीश चंद्र मिश्रा वर्षों से मायावती के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं. मिश्रा के ही कारण ही बीएसपी ब्राह्मणों तक पहुंच पाई और इस रणनीति के कारण 2007 में बीएसपी को यूपी की सत्ता मिल पाई. पंजाब में अकाली दल के साथ गठबंधन के लिए भी मायावती ने मिश्रा को ही प्रतिनियुक्त किया गया था. गठबंधन के ऐलान के वक्त वह सुखबीर सिंह बादल के साथ स्टेज पर मौजूद थे.
मिश्रा ने मायावती को तब सचेत किया था, जब बीएसपी के निलंबित विधायकों में से सात ने राज्यसभा चुनावों में पार्टी के फरमान का पालन नहीं किया था. हाल के पंचायत चुनावों में बीएसपी के वरिष्ठ नेताओं लालजी वर्मा और राम अचल राजबहर ने भी पार्टी के फरमान की अनदेखी की.सतीश चंद्र मिश्रा के रिश्ते बीएसपी के वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर के साथ भी खास अच्छे नहीं थे. इन्हें मायावती ने हाल ही में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त कर दिया. ऐसा कहा जा रहा था कि ये दोनों नेता अन्य दलों के संपर्क में थे. नसीमुद्दीन सिद्दीकी, ब्रजेश पाठक और स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी से बाहर होने के बाद अब मिश्रा बीएसपी में मायावती के बाद प्रभाव के मामले में सबसे बड़े नेता बन गए हैं.
अगर 11 विधायकों में एक और विधायक मिल जाता है, तो वे अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं बीएसपी के पूर्व राज्य प्रमुख और बर्खास्त विधायक राम अचल राजभर ने अभी भी मायावती पर विश्वास जताया है. राजभर ने कहा है कि वह कम से कम एक महीने तक इंतजार करेंगे, शायद इस दौरान मायावती का मन बदल जाए. कुछ अन्य बर्खास्त विधायकों के बारे में कहा जाता है कि वे बीजेपी के संपर्क में हैं. इसलिए अलग पार्टी बनाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. वहीं, इनके बीच बीएसपी के वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं.

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