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सीतापुर और लखीमपुर में बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन- प्रदेश सरकार में दलित व ब्राह्मण समाज के लोगों पर हो रहा अत्याचार-सतीश मिश्रा

[Edited By: Vijay]

Thursday, 5th August , 2021 06:38 pm

बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्र ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, ब्राह्मण समाज के लोगों को चुन-चुनकर एनकाउंटर में मारा जा रहा है

मंदिर व किसान बिल पर भी बरसे: विचार गोष्ठी में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा राम मंदिर व किसान बिल पर भी बरसे। उन्होंने कहा कि कमाई का धंधा बना लिया राम के नाम को और मंदिर के नाम पर अभी कुछ नहीं। शहर में भी कुछ काम नहीं है। मैं अयोध्या होकर आया हूं। मंदिर के बारे में पूछा तो उन्होंगे कहा कि आप आए ही क्यों अयोध्या। भगवान श्रीराम का मंदिर अभी दूर-दूर तक पता नहीं है।

                   

बसपा ने लौटाया ब्राह्मण समाज का सम्मान: राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने कहा कि, मायावती की बसपा सरकार ने ब्राह्मण समाज का सम्मान लौटाने का काम किया है। एमपी, एमएलए, एमएलसी बनाए और 5000 सरकारी वकील ब्राह्मण समाज से बनाए थे। वृंदावन, अयोध्या में विकास कार्य कराया। उन्होंने सपा को भी ब्राह्मण विरोधी बताया।

                   

सतीश चंद्र मिश्रा ने सूबे की सत्ता पर काबिज वर्तमान भाजपा सरकार और पूर्ववर्ती सपा सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि इन दोनों पार्टियों के शासन काल में ब्राह्मणों और अनुसूचित जाति के लोगों की न केवल घोर उपेक्षा हुई, उनका कदम-कदम पर शोषण और उत्पीड़न किया गया। सपा की तरह भाजपा भी इन दोनों वर्गों का अहित करने पर तुली है। प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल से शासन नहीं, कुशासन चल रहा है। हर दो घंटे में रेप की घटनाएं हो रही हैं। ब्राह्मणों और अनुसूचित जाति के लोगों की बेटियों को ठीक उसी तरह भयभीत किया जा रहा है, जैसे सपा सरकार ब्राह्मणों और अनुसूचित जाति के लोगों को अपना दुश्मन मानकर उत्पीड़न करती थी।

बसपा नेता ने कहा कि सपा की सरकार को वर्ष 2007 में ब्राह्मणों ने पार्टी के साथ एकजुट होकर उखाड़ फेंका था, लेकिन बाद में ब्राह्मण अन्य पार्टियों में बंट गए। खुद को धर्म का ठेकेदार मानने वाली भाजपा को गुमान है कि ब्राह्मणों के पास उसका अन्य कोई विकल्प नहीं है, लेकिन अपने अपमान का बदला लेने के लिए ब्राह्मणों को फिर से एकजुट होकर भाईचारा को मजबूत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 20 प्रतिशत से अधिक वोट मिलना जरूरी है। इसलिए 16 फीसदी ब्राह्मण और 23 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग एकजुट हो जाएं तो एक बार फिर बसपा के सत्ता में आने से प्रदेश में सुशासन कायम हो जाएगा और दोनों वर्ग भाजपा से अपमान का राजनीतिक बदला ले सकेंगे।

 

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