पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों में तनाव है। इस बीच गलती से बॉर्डर पार गए बीएसएफ जवान को पाकिस्तान ने अभी तक नही छोड़ा है। बता दें BSF के एक जवान को पाकिस्तान रेंजर्स ने गुरुवार को हिरासत में लिया था।
अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि 182वीं बटालियन के कांस्टेबल पीके सिंह किसानों के साथ थे। वह छाया में आराम करने के लिए आगे बढ़े, तभी पाकिस्तान रेंजर्स ने पकड़ कर अपने गिरफ्त मे ले लिया। पीके सिंह वर्दी में थे और उनके पास सर्विस राइफल भी थी। मीडिया से बातचीत करते हुए BSF जवान पीके साहू के भाई श्यामसुंदर साहू ने केंद्र सरकार और BSF अधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार उनकी सुरक्षित और तत्काल वापसी सुनिश्चित करे। पूरा परिवार बेहद चिंतित है”।
बता दें कि BSF के एक जवान को पाकिस्तान रेंजर्स ने गुरुवार को हिरासत में लिया था। साहू गलती से फिरोजपुर में भारत-पाक बॉर्डर की जीरो लाइन क्रॉस कर गए थे। जिसके बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया। उनके हथियार छीन लिए और फिर आंख पर पट्टी बांधकर कैद की फोटो भी जारी की।
जानें पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक करीब 40 वर्षीय साहू घर से छुट्टी बिताने के बाद 31 मार्च को ड्यूटी पर लौटे थे। बुधवार की सुबह किसान अपनी कंबाइन मशीन लेकर खेत में गेहूं काटने गए थे। किसानों की निगरानी के लिए 2 BSF बीएसएफ जवान भी उनके साथ थे। इसी समय जवान पीके साहू गलती से बॉर्डर पार कर गया। तभी पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे पकड़ लिया और उसके हथियार भी ले लिए। BSF अफसर मौके पर पहुंचे, वार्ता शुरू की जैसे ही BSF के बड़े अफसरों को जवान पीके साहू के पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा पकड़े जाने की यह खबर मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंचे और पाकिस्तानी रेंजर्स से बातचीत शुरू की।
उन्हें बताया गया है कि यह जवान कुछ दिन पहले ट्रांसफर होकर आया था। उसे जीरो लाइन का पता नहीं था। वह गलती से जीरो लाइन क्रॉस कर गया था। रिहा करने के लिए कहा गया। मगर, पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे रिहा करने से इनकार कर दिया। भारत की ओर से लगातार फ्लैग मीटिंग के जरिए BSF जवान पीके साहू को वापस लाने की कोशिश की जा रही है। BSF के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान रेंजर्स से अब तक 2 से 3 फ्लैग मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से बीएसएफ जवान की वापसी में देरी का कारण हाल ही में हुआ पहलगाम आतंकी हमला हो सकता है। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच तल्खी और गहरी हो गई है।
क्या कहता है प्रोटोकाल
प्रोटोकाल कहता है कि आमतौर पर ऐसी घटनाओं में 24 घंटे के भीतर जवानों को लौटा दिया जाता है, लेकिन इस बार देरी को लेकर आशंका बढ़ गई है। एक अधिकारी ने बताया कि पहले दोनों देशों के बीच अगर कोई जवान बॉर्डर पार कर लेता था तो फ्लैग मीटिंग के बाद उसे वापस लौटा दिया जाता था। यह सामान्य बात थी, लेकिन पहलगाम में आतंकी हमले के बाद बदले हालात में यह घटना असामान्य हो गई है। रिहाई के लिए दोनों देशों में बातचीत जारी है।