- सावधान! ये दवा तो नहीं ले रहे आप?
- 84 दवाएं के बैच क्वालिटी टेस्ट में फेल
- CDSCO ने अलर्ट जारी किया
- एसिडिटी, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज आदि दवाएं शामिल
- नकली दवाओं को बाजार से हटाने का प्रयास
अक्सर कहा जाता है कि बहार कहते वक़्त सोच समझ कर ही खाएं क्यूंकि खाने-पीने की नकली और मिलावटी चीज़ें आपको और भी ज़्यादा बीमार बना सकती है लेकिन जब आप बीमार होते हैं तो डॉक्टर आपको उचित दवा लेने की सलाह देते हैं पर बीमारी ठीक करने वाली दवाएं असल में आपको और ज्यादा बीमार कर सकती हैं। क्यूंकि खाने पीने की नकली और मिलावटी चीज़ों की तरह दवाओं को भी नकली तरीके से बनाया जा रहा है। हाल ही में आम लोगों के लिए खतरे की घंटी बज गई है. दरअसल देशभर में 84 दवाओं के बैच, जिनमें आम स्टेरॉयड, कोलेस्ट्रॉल काम करने और डायबिटीज कण्ट्रोल करने वाली दवाएं शामिल हैं, गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं. दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करने वाली संस्था केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने इस बारे में अलर्ट जारी किया है. जानिए न्यूज़ प्लस की इस खास रिपोर्ट में उन दवाइयों और उनके साइड इफेक्ट्स के बारे में…
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भारत का फार्मा उद्योग मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और उत्पादन के मूल्य के मामले में 14वां सबसे बड़ा उद्योग माना जाता है। जेनेरिक दवाओं, बल्क ड्रग्स, ओवर-द-काउंटर दवाओं, टीकों, बायोसिमिलर और बायोलॉजिक्स को कवर करने वाले अलग अलग तरह के उत्पाद आधार के साथ, भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग की वैश्विक स्तर पर मजबूत उपस्थिति है। वही जेनरिक दवाओं को बनाने और निर्यात करने के मामले में भारत टॉप पर है. लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने देश के दवा व्यापार , दवाओं की गुणवत्ता और भरोसे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हाल ही में 84 दवाओं को गुणवत्ता परीक्षण में असफल (Not of Standard Quality) घोषित किया है। इनमें एंटीबायोटिक्स, हृदय रोग, मधुमेह, मानसिक स्वास्थ्य, दर्द निवारक, एलर्जी, एसिडिटी और पोषण सप्लीमेंट्स जैसी दवाएं शामिल हैं। यह रिपोर्ट मरीजों और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए एक बड़ा अलर्ट है, क्योंकि इन दवाओं का उपयोग स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
असफल दवाओं की सूची और उनके कारण
स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने जिन 84 दवाओं को गुणवत्ता परीक्षण में असफल घोषित किया है इन दवाओं पर भरोसा करके न जाने कितने मरीज़ इनका उपयोग कर रहे होंगे। उनकी फेहरिस्त काफी लम्बी है और सोचने पर मजबूर करती है यदि आप इनमें से कोई भी दवा इस्तेमाल कर रहे हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और दवा का बैच नंबर व एक्सपायरी डेट जांचें
- एंटीबायोटिक्स और इंजेक्शन
Cefotaxime Sodium Injection IP 1g – दवा के घोल में स्पष्टता की कमी
Meropenem Injection IP 500 mg – दवा में कण पाए गए
Amikacin Sulphate Injection IP 250 mg – दूषित तत्व मिले
Doxycycline Capsules IP 100 mg – वजन में असमानता
Acyclovir Dispersible Tablets IP 800 mg – विघटन में गड़बड़ी - दर्द निवारक और सूजनरोधी दवाएं
Aspirin Gastro-resistant Tablets IP 75 mg – घुलनशीलता में समस्या
Paracetamol Paediatric Oral Suspension IP – संदिग्ध पदार्थों की उपस्थिति
Tranexamic Acid Tablets IP 500 mg – घटक असंतुलन - एसिडिटी और गैस की दवाएं
Rabeprazole Injection IP – स्टेरिलिटी की समस्या
Pantoprazole Gastro-resistant Tablets IP 40 mg – घुलनशीलता में गड़बड़ी
Omeprazole Lyophilized Powder for Injection (I.V.) – जल स्तर में असंतुलन - सर्दी, खांसी और एलर्जी की दवाएं
Fexofenadine Hydrochloride Tablets IP (MANOFEX-180) – घुलनशीलता में समस्या
Cold Plus Syrup – घटक अनुपात में गड़बड़ी
Diphenhydramine & Ammonium Chloride Cough Syrup (Beedryl Plus) – घटकों में असंतुलन - मधुमेह और हृदय रोग की दवाएं
Glimepiride Tablets IP 1 mg – घुलनशीलता में गड़बड़ी
Telmisartan Tablets IP 40 mg (TELMOPI-40) – परीक्षण में असफल
Ramipril & Metoprolol Succinate Tablets – घटक असंतुलन - मल्टीविटामिन और पोषण सप्लीमेंट्स
AXBEX Suspension – विटामिन डी की गुणवत्ता में कमी
Calcium & Vitamin D3 Tablets (CALCI-D, CITCAL आदि) – कैल्शियम और विटामिन डी की गुणवत्ता में गड़बड़ी
Zinc Sulphate Dispersible Tablets IP 20 mg – प्रसार और विघटन में असंतुलन - मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरोलॉजिकल दवाएं
Alprazolam Tablets IP 0.5 mg – घुलनशीलता में समस्या
Sertraline Hydrochloride Tablets (डिप्रेशन की दवा) – दूषित पदार्थों की उपस्थिति
Duloxetine Gastro-resistant Tablets IP 20 mg – घटक अनुपात में समस्या - अन्य आवश्यक दवाएं
Thyroxine Sodium Tablets IP (THYROX-25) – परीक्षण में असफल
Hydroxychloroquine Sulphate Tablets IP 200 mg – संदिग्ध तत्व मौजूद
Infusion Set & Compound Sodium Lactate Injection (RL) – स्टेरिलिटी में गड़बड़ी
कैसे हुई जांच और क्या पाया गया?
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन CDSCO ने विभिन्न राज्यों से लिए गए दवा सैंपल्स की जांच की। परीक्षण के दौरान कई दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं, जिनमें कुछ में दूषित तत्व, असमान दवा घटक, घुलनशीलता में गड़बड़ी, स्टेरिलिटी की समस्या या अन्य गुणवत्ता संबंधित खामियां पाई गईं। अधिकारियों ने बताया कि यह विफलता सरकार द्वारा परीक्षण किए गए बैच के दवा उत्पादों के लिए विशिष्ट होती है.उन्होंने कहा, ‘NSQ और नकली दवाओं की पहचान करने की यह कार्रवाई राज्य नियामकों के साथ मिलकर नियमित रूप से की जाती है ताकि इन दवाओं की पहचान कर उन्हें बाजार से हटाया जा सके’
नकली दवाओं का मकड़जाल
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) का दावा है कि दुनिया में नकली दवाओं का कारोबार 200 बिलियन डॉलर यानी करीब 16 लाख 60,000 करोड़ रुपये का है। नकली दवाएं 67% जीवन के लिए खतरा होती हैं। बची हुई दवाएं खतरनाक भले ही ना हों, लेकिन उनमें बीमारी ठीक करने वाला साल्ट नहीं होता है, जिस वजह से मरीज की तबीयत ठीक नहीं होती है। आखिरकार मर्ज बिगड़ता चला जाता है, जिससे वह मौत के मुंह तक चला जाता है। नकली या घटिया दवाओं के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है। एसोचैम की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 25% दवाएं नकली या घटिया हैं। भारतीय मार्केट में इनका कारोबार 352 करोड़ रुपये का है। तेलंगाना में पिछले साल 2024 करोड़ों की नकली या घटियां दवा पकड़ी गई। तेलंगाना ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (Drugs Control Administration) की जांच में खुलासा हुआ कि नामी कंपनियों के नाम से बनी इन दवाइयों में चाक पाउडर या स्टार्च था। इसी तरह अगर कैप्सूल एमोक्सिलिन का है तो उसमें सस्ती दवा पेरासिटामोल भरी हुई थी। इसी तरह 500 ग्राम एमोक्सिलिन साल्ट की मात्रा सिर्फ 50 ग्राम ही थी।
कैंसर तक की नकली दवाएं पकड़ी गईं। ये सभी दवाएं उत्तराखंड के काशीपुर और यूपी के गाजियाबाद से कूरियर के जरिए तेलंगाना पहुंची थी। इन दवाओं की पैकिंग इस तरह की गई थी, जो बिल्कुल असली लग रही थीं। इनकी पहचान करना मुश्किल था। उत्तराखंड में पिछले साल कई दवा कंपनियों के सैंपल जांच में खरे नहीं उतरे तो उनका लाइसेंस कैंसल किया गया। यह सभी दवाइयां उत्तराखंड में बन रही थीं। इसी तरह आगरा के मोहम्मदपुर में 2024 में नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी गई। पुलिस ने 80 करोड़ रुपये की नकली दवाएं पकड़ी थीं। इसी तरह देश के कई राज्यों में छापेमारी कर नकली दवाओं की खेप पकड़ी गई। इससे पहले कोविड-19 के समय भी देश भर में नकली रेमडिसीवर के इंजेक्शन सप्लाई करने के मामले तक सामने आए थे। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी कई ऑपरेशन में बीते सालों में दिल्ली-एनसीआर में चल रहे कई सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया। गाजियाबाद के लोनी स्थित ट्रोनिका सिटी में नकली दवाओं का गोदाम पकड़ा, जिसका मास्टरमाइंड एक डॉक्टर निकला। ये सोनीपत के गन्नौर स्थित फैक्ट्री में भारत, अमेरिका, इंग्लैंड, बांग्लादेश और श्रीलंका की 7 बड़ी कंपनियों के 20 से ज्यादा ब्रैंड की नकली दवा तैयार कर रहे थे। इंडिया मार्ट और भागीरथ प्लेस तक में इनकी सप्लाई थी। भारत के अलावा चीन, बांग्लादेश और नेपाल में एक्सपोर्ट करते थे। इस गिरोह से 8 करोड़ की नकली दवाएं और करीब 9 करोड़ रुपये के दो प्लॉट के दस्तावेज मिले।
CDSCO का बड़ा कदम
84 दवाओं के गुणवत्ता परीक्षण में असफल घोषित होने पर हाल ही में, CDSCO ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इस दिशानिर्देश के तहत सभी दवा निरीक्षकों को हर महीने कम से कम 10 सैंपल (9 दवा और 1 कॉस्मेटिक/मेडिकल डिवाइस) लेकर उसी दिन प्रयोगशाला भेजने होंगे. दूर-दराज के इलाकों में यह अवधि अधिकतम 1 दिन हो सकती है. क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई दवाईयां आम लोगों के लिए परेशानी बढ़ा सकती हैं. इस खबर के बाद मार्केट से लेकर मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली दवाओं को लेकर संदेह की स्थिति पैदा हो गयी है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और CDSCO के इस कदम से नकली दवाओं और गुणवत्ता विहीन दवाओं के उत्पादन पर रोक लगेगी।
नकली दवाइयों की पहचान करना हमेशा आसान नहीं होता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, कई तरीके कि जिनकी मदद से नकली दवाइयों कि पहचान कर सकते है और कुछ खास एहतियात बरत कर इन समस्याओं से बच भी सकते हैं। इनमें पैकेजिंग पर छपी जानकारी को ध्यान से पढ़ना ,पैकेजिंग पर किसी भी प्रकार की छपाई या मुद्रण दोष की जांच करना ,पैकेजिंग पर दी गई जानकारी दवा की मूल जानकारी से मेल खाती है,
पैकेजिंग सील सही तरह से लगी होनी चाहिए, पैकेजिंग पर दिए गए बारकोड को स्कैन करके उसकी प्रामाणिकता की जांच करें। दवा की गोली या कैप्सूल का रंग, आकार और बनावट मूल दवा से मेल खाना चाहिए। दवा की गोली या कैप्सूल पर कोई भी दोष या धब्बा नहीं होना चाहिए। अगर कोई दवा बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर मिल रही है, तो संभव है कि वह नकली हो। हमेशा किसी विश्वसनीय मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदें। अनधिकृत दवा विक्रेताओं से दवा न खरीदें।
खराब गुणवत्ता वाली दवाओं के सेवन से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने इस मामले में सतर्कता बढ़ाई है, लेकिन मरीजों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए उपयुक्त कदम उठाएं और किसी भी संदिग्ध दवा को लेकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।