रंगों का त्योहार होली की तैयारिया देशभर मे लगभग हो चुकी है, घर से लेकर सड़क, दुकान, बाजार की तक तरह-तरह के रंग देखने को मिल रहे है, होली पर बाजारों में बिकने वाला केमिकल रंगों का बहुत इस्तेमाल होता है. ये रंग हमारे शरीर के लिए काफी खतरनाक साबित होते हैं.

होली के त्यौहार पर बिकने वाला रंग ज़्यादातर शक्तिशाली रसायनों से बनाए जाते हैं। ये रसायन एलर्जी, जलन पैदा करने वाले कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस, मौजूदा त्वचा की स्थिति को और खराब कर सकते हैं, होली के रंगों के कारण हमारी स्किन पर भारी असर पड़ता है, इतना ही नही रंगों से हमारे मुँहासे और पिंपल्स की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। रंगों का असर सिर की त्वचा पर भी पड़ता है। अगर सिर की त्वचा पर रंग लग जाता है, तो इससे रुसी (डैंड्रफ) की समस्या बढ़ सकती है।
होली पर कई बार दोस्त या हमारे आस-पास के लोग मस्ती में जबरदस्ती हरा, काला, लाल, गुलाबी, जैसे कई रंग लगा देते हैं. और हम भी उन्हे मना नही कर पाते है क्योकि होली रंगों का त्यौहार सालभर मे सिर्फ एक ही बार आता है, किसी को रंग खेलना अच्छा लगता है तो कई लोग होली पर रंगों से बचाव करते है,
होली पर बाजारों में बिकने वाला केमिकल रंगों का बहुत इस्तेमाल होता है. जिससे कई लोगों को एलर्जी हो जाती है. कुछ लोगों को तो एलर्जी की बीमारी भी होती है, उन्हें होली पर ज़्यादा ध्यान रखने की ज़रूरत होती है. कई बार गुलाल नाक में जाने से अस्थमा वाले मरीज़ों को भी तकलीफ हो सकती है. इसलिए होली पर बाजार मे बिकने वाले हर्बल रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ये शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते. होली पर केमिकल रंगों से अपने आप के साथ बच्चों का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है.