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जम्मू-कश्मीर में रहने वाला देश का कोई भी व्यक्ति अब जम्मू-कश्मीर में भी मतदान कर सकेगा

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 18th August , 2022 12:28 pm

जम्मू-कश्मीर में रहने वाला देश का कोई भी व्यक्ति अब जम्मू-कश्मीर में भी मतदान कर सकेगा और अपनी पसंद के नेता को वोट देने का हकदार होगा। जम्मू-कश्मीर का मतदाता बनने के लिए उसे यहां के डोमिसाइल की जरूरत भी नहीं होगी। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार बन रही मतदाता सूचियों में इस विशेष संशोधन से करीब 25 लाख नए मतदाता बनेंगे।

मतदाता सूचियों में विशेष संशोधन की प्रक्रिया को 25 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर निर्वाचन आयोग के इस निर्णय से सियासी दलों को मिर्ची लग गई और इसे भाजपा का एजेंडा बताने लगे हैं। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बयानों में उनकी हताशा और हार का डर साफ नजर आ रहा है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। हालांकि, इस वर्ष चुनाव की उम्मीद कम है, लेकिन अगले वर्ष इन्हें कराए जाने की पूरी संभावना है।

जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार सिंह ने जम्मू में निर्वाचन भवन में पत्रकार वार्ता में बताया कि देश के किसी भी हिस्से का कोई भी नागरिक जो शिक्षा, नौकरी या श्रमिक के तौर पर सामान्य रूप से जम्मू- कश्मीर में रह रहा है, वह अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करा सकता है। इसके लिए पूरी प्रक्रिया तय की जा रही है। देश के विभिन्न हिस्सों के निवासी जो सेना या अर्द्धसैनिक बलों में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं, वे भी यहां के वोटर बन सकते हैं। कश्मीर से विस्थापित होने वाले हिंदू व अन्य को चुनाव संबंधी सुविधाएं पहले की तरह मिलती रहेंगी।

चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि गैर-स्थानीय लोगों के लिए मतदान के लिए कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई जम्मू कश्मीर में कितने समय से रह रहा है। गैर स्थानीय जम्मू कश्मीर में रह रहा है या नहीं इस पर अंतिम फैसला ईआरओ करेगा। यहां किराए पर रहने वाले भी मतदान कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने की एकमात्र शर्त यह है कि व्यक्ति ने अपने मूल राज्य से अपना मतदाता पंजीकरण रद्द कर दिया हो। आयोग के इस फैसले से मतदाता सूची में करीब 20 से 25 लाख नए मतदाता शामिल होंगे।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि जो नागरिक एक अक्टूबर 2022 तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेगा, वे सभी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकेंगे। जम्मू-कश्मीर में 18 साल से अधिक आयु के युवाओं की जनसंख्या 98 लाख के करीब है, जबकि पिछली मतदाता सूची में इनकी आबादी करीब 76 लाख थी। इस तरह 20 से 25 लाख नए मतदाता बनेंगे। बूथ स्तर, निर्वाचन पंजीकरण, सहायक निर्वाचन पंजीकरण और जिला चुनाव अधिकारी से कहा गया है कि अंतिम मतदाता सूची में कोई गलती नहीं हो। दूसरे राज्यों के लोगों को जम्मू-कश्मीर में मतदाता बनाने के लिए दस्तावेजों की जांच संबंधित अधिकारी करेंगे।

जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद विधानसभा सीटों की संख्या 90 हो गई है। विधानसभा सीटों की संख्या में वृद्धि के साथ मौजूदा मतदाता सूची में व्यापक बदलाव आया है। अब नए ढांचे के अनुसार मतदाता सूची तैयार की जा रही है।

पूरे जम्मू कश्मीर में मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है, हालांकि जम्मू कश्मीर में 15 अगस्त की तैयारियों को देखते हुए इसे रोक दिया गया था। इससे पहले अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के लिए 31 अक्टूबर की समयसीमा तय की गई थी, हालांकि इसे अब 25 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, "जम्मू कश्मीर में नए मतदान केंद्र बन रहे हैं और मतदान केंद्रों की संख्या 11,370 हो गई है।" जम्मू कश्मीर में 15 सितंबर से 25 अक्टूबर तक समरी रिवीजन के दौरान जम्मू कश्मीर में कैंप आयोजित किए जाएंगे, जहां लोग मतदाता के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। अनु'छेद 370 की समाप्ति से पहले जम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि, गोरखा समुदाय और पश्चिम पाकिस्तान से आए लोगों को मतदान करने हक भी नहीं था। अब ये लोग मतदान कर पाएंगे। इसलिए मतदाता सूचियों में भारी बदलाव देखने को मिलेगा।

उमर अब्दुल्ला, उपाध्यक्ष, नेशनल कांफ्रेंस - भाजपा जम्मू-कश्मीर के वास्तविक मतदाताओं के समर्थन को लेकर इतनी असुरक्षित है कि उसे सीटें जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को आयात करने की आवश्यकता है? जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा तो इनमें से कोई भी चीज भाजपा की मदद नहीं करेगी।

महबूबा मुफ्ती, अध्यक्ष, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी - जम्मू-कश्मीर में चुनावों को टालने का केंद्र सरकार का फैसला भाजपा के पक्ष में संतुलन को झुकाने और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देने से पहले चुनाव परिणामों को प्रभावित करना है। असली मकसद स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जम्मू-कश्मीर में डंडे के बल पर शासन जारी रखना है।

सज्जाद लोन, जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन - यह खतरनाक है। मुझे नहीं पता कि वे क्या हासिल करना चाहते हैं। यह एक शरारत से कहीं अधिक है। लोकतंत्र विशेष रूप से कश्मीर के संदर्भ में एक अवशेष रह गया है। कृपया 1987 को याद रखें। हम अभी उससे बाहर निकले हैं। 1987 को फिर न दोहराओ। यह उतना ही विनाशकारी होगा।

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