पंजाब चुनाव के ठीक पहले भाजपा को बड़ी सफलता मिली है। अकाली दल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के प्रेसिडेंट रहे मनजिंदर सिंह सिरसा ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
बुधवार को ही उन्होंने गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी से इस्तीफा दिया था और फिर अकाली दल छोड़ने का फैसला लिया था। उनके भाजपा में जाने से भगवा दल को पंजाब चुनाव में खुद को सिखों की हितैषी पार्टी बताने में मदद मिलेगी। सिरसा गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के मुखिया रहे हैं और उनकी सिखों के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में भाजपा को उन्हें पंजाब में एक चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने में मदद मिलेगी।
Former SAD leader Shri @mssirsa called on BJP National President Shri @JPNadda after joining BJP at party headquarters in New Delhi. pic.twitter.com/GQ4kAWdjcJ
— BJP (@BJP4India) December 1, 2021
पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को साधने के बाद राज्य में भाजपा के लिए यह बड़ी कामयाबी है। सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी का पद छोड़ते हुए सिरसा ने लिखा था, 'कुछ निजी कारणों के चलते मैं दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के प्रेसिडेंट के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं।' दिल्ली में मनजिंदर सिंह सिरसा की अच्छी पैठ मानी जाती रही है और राजधानी में अकाली दल का जो भी जनाधार रहा है, उसमें उनकी अहम भूमिका रही है। ऐसे में सिरसा का छोड़ना अकाली दल के लिए पंजाब से लेकर दिल्ली तक अकाली दल के लिए बड़ा झटका है।
With gratitude to all office bearers, members, staff & people who worked with me; I am resigning from Delhi Sikh Gurudwara Management Committee as President. I will not contest upcoming DSGMC internal elections.
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) December 1, 2021
My commitment to serve my community, humanity & nation remains same! pic.twitter.com/1ja3DlnvVM
मनजिंदर सिंह सिरसा के सिख समुदाय पर प्रभाव को इस बात से समझा जा सकता है कि 2012 में जब वह गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के महासचिव बने थे तो अकाली दल को पंजाब में सत्ता मिली थी। परमजीत सिंह सरना को मात देकर अकालियों ने गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी में पकड़ बनाई थी। ऐसे में अब सिरसा का भाजपा में जाना सिख समुदाय के बीच पार्टी को पैठ बढ़ाने में मदद कर सकता है। किसान आंदोलन के बाद से ही भाजपा सिख विरोधी दल होने की धारणा का शिकार रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद अब सिरसा की एंट्री के बाद पार्टी को बड़ी मदद मिल सकेगी।