संभल बवाल पर एक ओर जहां योगी सरकार इस मुद्दे पर सख्त एक्शन लेते हुए दिखाई दी तो वहीं दूसरी ओर सपा से लेकर कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने बीजेपी सरकार पर सवाल दागने में कोई कसर नहीं छोड़ी, खास तौर पर अखिलेश ने इस मुद्दे को भी सियासत में खूब भुनाया है.
24 नवंबर 2024, जब सुबह-सुबह खबर आई की संभल में जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान बवाल हो गया है, जिसके बाद सियासी शोर ऐसा दिखा जिसने सबको टेंशन में डाल दिया, एक ओर जहां योगी सरकार इस मुद्दे पर सख्त एक्शन लेते हुए दिखाई दी तो वहीं दूसरी ओर सपा से लेकर कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने बीजेपी सरकार पर सवाल दागने में कोई कसर नहीं छोड़ी, खास तौर पर अखिलेश ने इस मुद्दे को भी सियासत में खूब भुनाया, कभी प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए तो कभी योगी सरकार पर तंज कसने में अखिलेश पीछे नहीं हटे, लेकिन हाल ही में यूपी में सियासी तपीश तब और बढ़ गई जब अखिलेश ने सपा डेलीगेशन को संभल भेजने को कहा, जिसके बाद ऐसा हंगामा हुआ है जिसने लखनऊ से दिल्ली तक सियासी खलबली मचा दी.
संभल बवाल, अखिलेश ने दागे ढेरों सवाल
दरअसल संभल बवाल के बाद अखिलेश यादव के तेवर हाई दिख रहे हैं, अखिलेश ने इस मुद्दे पर सवाल उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, इस बीच अखिलेश ने सपा के डेलीगेशन को संभल भेजने को कहा था लेकिन सपा का डेलीगेशन नहीं जा पाया, लखनऊ, गाजियाबाद, हापुड़ में सांसदों को संभल जाने से पहले ही रोक दिया गया, जिस पर अखिलेश ने सरकार को घेरा और कहा कि प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है।
ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता। भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साज़िशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाई करके बर्ख़ास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए। भाजपा हार चुकी है।
डिप्टी CM बृजेश पाठक ने कसा सपा पर तंज एक ओर जहां अखिलेश ने प्रशासन पर सवाल उठाएतो वहीं प्रशासन का कहना है कि 24 नवंबर को भड़की हिंसा के बाद अब बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगाई गई है. जिला प्रशासन ने बाहरी लोगों के 10 दिसंबर तक रोक लगाने का आदेश जारी किया है. वहीं इस मामले में डिप्टी CM बृजेश पाठक ने भी सपा पर तंज कसा और उन्होंने कहा कि संभल की घटना है वो घटना समाजवादी पार्टी के मुखिया के द्वारा जबरदस्ती खींची जा रही है.
उन्होंने कहा समाजवादी पार्टी के मुखिया ने जो ट्वीट करके कहा है, हम उसकी निंदा करते हैं. सपा के जो चाल चरित्र और चेहरा है वो उजागर हो चुका है. संभल की घटना की जिम्मेदारी अखिलेश यादव को लेनी चाहिए. वास्तव में जो संभाल के अपराधी हैं.वहीं समाजवादी हैं. बृजेश पाठक यही नहीं रुके इसके आगे उन्होंने ये भी कहा कि जिन लोगों ने इस कुकृत्य को अंजाम दिया है, वो सभी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं और उनके कुकृतियों को छिपाने के लिए तरह-तरह के बयान दे रही है. वहां के जो सांसद हैं और जो विधायक हैं, आपस में लड़ रहे हैं. युद्ध कर रहे हैं और संभल की जनता उनके आपस के युद्ध के कारण पीस रही है. उन्होंने कहा कि संभल में जो घटना घटी है उसके निष्पक्ष जांच हो रही है.
कोर्ट ने दिया संभल सर्वे पर ‘सुप्रीम’ आदेश
बता दें इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार से शांति और सद्भाव कायम सुनिश्चित करने को कहा है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वो किसी भी तरह के उत्पात और हिंसा के खिलाफ है. कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार को शांति बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे. साथ ही, कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि विवाद से उत्पन्न तनाव को जल्द सुलझाया जाए और इलाके में सामाजिक सौहार्द बनाए रखा जाए. सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश जारी करते हुए कहा कि सर्वे रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की जाए और इसे सील बंद लिफाफे में रखा जाए. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को यह भी अवसर दिया कि वो निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.