प्रयागराज मे महाकुंभ का महापर्व 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। लोखों करोड़ो लोग कुंभ के मेले मे जाने को उत्साहित है, देश ही नही बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच भी रहे हैं. तैयारिया लगभग हो चुकी है वहां से जुड़ी कई रोचक खबरें सामने आने लगी है.
नागा साधओं की रहस्यमयी दुनिया को देखकर हर व्यक्ति ही अचंभित और आश्चर्यचकित होता है। इसी बीच नागा साधुओं के बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है जो सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। दरअसल वहां 4 दिन एक परिवार महाकुंभ मे आया था उस परिवार मे एक 14 साल की लड़की भी थी। जिसने नागाओं को देखकर संन्यास लेने का फैसला किया।
आपको बता दें उस बेटी की मां ने अपनी 14 साल की बेटी का संगम की धरती पर कन्या दान कर दिया है लेकिन जिस लड़की को दान किए जाने की बात सामने आई थी, उसने ऐसा किए जाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है. उसने कहा है कि मैंने अपनी स्वेच्छा से संन्यास लिया है. मुझे किसी ने दान नहीं किया. मैं अपनी मर्जी से गुरु की सेवा और सनातन धर्म के लिए काम करने आई हूं.
क्या बच्चे भी बन सकते हैं नागा साधु?
नागा साधू बनना आसान नही है। नागा साधु बनने के लिए कठिन प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। नागा साधू बाबा बनने के लिए कठिन तप से गुजरना पड़ता है जो आम लोगे के बस के बाहर है, इस दिव्य महाकुंभ मे नागा साधुओं के अखाड़े में बच्चे भी देखे जाते हैं। यानि बच्चों को भी नागा साधु दीक्षा देते हैं, नागा साधु बनने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती।
हिंदू धर्म के ये रहस्यमयी साधु छोटे बच्चों को भी अपने अखाड़ों में रखते हैं। कई माता-पिता अपनी इच्छा के अनुसार कभी भी अपने शिशु को नागा साधुओं को भेंट कर देते हैं। इसके बाद नागा साधु ही इन बच्चों की देखरेख करते हैं। बच्चों की शिक्षा और लालन-पालन की पूरी जिम्मेदारी नागा साधुओं की ही होती है। बता दें वक्त के साथ-साथ इन बच्चों को शिक्षा भी दी जाती है, लेकिन इनका लक्ष्य स्पष्ट होता है कि बड़े होने पर ये नागा साधु ही बनेंगे। राख मे लिपते नग्न शरीर, जलाजूट बाल, और सालों का तप, त्याग,साधु और संत अपने जीवनकाल के दौरान प्रभु का भजन और साधना करते हैं। इसके अलावा लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिसके द्वारा लोग अपने जीवन में भक्ति के बारे में समझ पाते हैं। साधु और संत में नागा साधु भी शामिल होते हैं।