सनातन धर्म का विस्तार कितना अधिक है और ये कितना पुराना है। ये तो आप खुद ही कल्पना नही कर सकते है। आज हम आपको चंबल की घाटी के बीचों- बीच जंगल मे 17 सौ साल साल पहले बनाए गये ऐसे शिवधाम के दर्शन कराते हैं। जहां की अलौकिकता और सुंदरता बर्बस ही आपको इस स्थान पर जाने के लिये मजबूर कर देगी. इस मदिर के बारे में शायद ही आपने कभी पहले पढ़ा या सुना होगा।
चंबल की घाटी के बीचो-बीच जंगल में बसे एक शिव मंदिर नही बल्कि नक्शें में कही खो गयी शिव नगरी के दर्शन कराने…जहां की अलौकिकता और सुंदरता बर्बस ही आपको इस स्थान पर जाने के लिये मजबूर कर देगी।
कई बार एकांत की कुछ बिक्री हुई तस्वीरें इतिहास की उस अनदेखे तस्वीरें की ओर इशारा करती है जहां गुप्त काल से संबंधित नरेश्वर के मंदिरों की प्राचीन श्रृंखला एकांत रूप को दिखाती है जो की बीते हुए अतीत के पुराने इतिहास में जाकर मिलता है
आज हम आपको लेकर चलते है चंबल के बीहड़ो छुपे हुये नरेश्वर मंदिर समूह के बारे में ….नरेश्वर मंदिर समूह ग्वालियर के मालनपुर से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर गांव के जंगलों में पड़ता है।
नरेश्वर महादेव ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है जिसे स्थानीय लोग केदारा के नाम से भी जानते हैं। नरेश्वर मंदिर के रास्ते में जमा कुछ पत्थर नजर आते हैं जो यहां के गौरवमई इतिहास का अतीत होने की ओर इशारा करते हैं नरेश्वर मंदिर के समूह तक जो की रिठौरा गांव के जंगलों के ठीक पहाड़ी पर स्थित है और दूर से देखने पर आपको ऐसा लगेगा की एक खंडहर है मगर आप जब ऊपर आते हैं तो आपको इस जगह का एक भव्य नजर दिखाई देगा
नरेश्वर मंदिर समूह की बनावट काफी हैरान करती है माना जाता है की इस स्थान का निर्माण आठवीं से दसवीं सदी के बीच के दौरान हुआ था पर कुछ इतिहासकार मानते हैं की यहां मौजूद कुछ संरचनाओं इससे भी पहले से करीब तीसरी से पांचवी सदी के बीच गुप्त काल की हैं और यहां कुल 23 मंदिर है जो की बिल्कुल ठीक अवस्था में है और बाकी कुछ ऐसे मंदिर भी है जो की खंडित अवस्था में हैं… यहां पर शिव मंदिर के अलावा एक हनुमान मंदिर और एक देवी दुर्गा का मंदिर है ..इस मंदिर के बारे में कहते हैं की यह यहां का मुख्य मंदिर और सबसे प्राचीन मंदिर है ..देखने मे यह मंदिर काफी प्राचीन लगता है और इसकी जो कारीगरी है काफी प्राचीन है।