- ममता वशिष्ठ को महामंडलेश्वर बनाया गया
- 2 महीने पहले बनी थी दुल्हन
- अब किन्नर अखाड़े ने बनाया महामंडलेश्वर
महाकुंभ का विशाल आयोजन चल रहा है और देश-विदेश से भक्त प्रयागराज आकर यहां पर आस्था की डुबकी लगा रहे है, साथ ही सनातन धर्म की महक में अपने आप को शान्त औऱ अध्यात्म से जोड़ रहे है, ये सनातन धर्म की औलोकिकता ही है कि जो भी इसके बारे में जानना चाहता है इसी में खो जाता है।
इस महाकुंभ में ही IIT वाले बाबा और हर्षा रिछारियां ने भी खूब सूर्खियां बंटोरी है, अभी हाल ही में माला बेचने वाली मोनालिसा भी अपनी खूबसूरत आखों के कारण चर्चा मे बनी हुई है, अब एक बार फिर महाकुंभ से जुड़ी खबर है, सामने आ रही है कि महाकुंभ में ममता वशिष्ठ महज 25 की उम्र में महामंडलेश्वर बनी हैं. ममता ने बताया की वह करीब 6 साल पहले किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर स्वामी पार्वती नंद गिरी धूलिया, महाराष्ट्र के संपर्क में आईं। इसके बाद किन्नर अखाड़ा की सनातन धर्म के प्रति सेवा और प्रचार-प्रसार को देखते हुए उसमें शामिल होने का फैसला लिया।
आपको बता दें 2 महीने पहले ही ममता वशिष्ठ ने पति के साथ 7 फेरे लिए थे। लेकिन, संयोग ऐसा बना कि 2 महीने की यह दुल्हन प्रयागराज के महाकुंभ में महामंडलेश्वर बन गई। उन्हें किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता का पिंडदान और पट्टाभिषेक कराया है. वो भी किन्नर अखाड़े में।
बताया जा रहा है कि उन्होंने पिछले साल नवंबर में संदीप वशिष्ठ से विवाह किया था. ममता के पति गांव के प्रधान हैं. ममता को 7 साल की उम्र से ही सनातन के प्रति रुझान था। महामंडलेश्वर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि सनातन धर्म की मजबूती के लिए समाज के योग्य धर्मगुरुओं को महामंडलेश्वर और श्रीमहंत बनाया गया है। महामंडलेश्वर जय अम्बानंद गिरि और जगद्गुरु स्वामी महेंद्रानंद गिरि किन्नर अखाड़ा और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के प्रयासों की सराहना की है। कार्यक्रम में रात्रि दास ने मोहक नृत्य प्रस्तुत आयोजित किया। इस दौरान महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरि, महामंडलेश्वर नीलम, महामंडलेश्वर पवित्रानंद गिरि, महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि, आदि मौजूद रहे।