12 सालों के इंतजार के बाद संगम की धरती पर लगा महाकुंभ का इतिहास बहुत पुराना है सनातन धर्म का अध्यात्म इतना गहरा है कि हर इंसान जब गहराई से अपने सनातन धर्म को जानता है तो वो इसी में खो जाता है आज हम आपको कुछ ऐसे इंसानो के बारें में बतायेंगे जो अपना सब कुछ छोड़कर साधू बन गये और महाकुंभ के विशेष मौके पर हमें प्रयागराज में दिखायी पड़े जिनके बारें में हर जगह चर्चा है.. तो आईये जानते है इन बाबाओ के बारे में…..
आई आई टी बाम्बे से एयरोस्पेस से इंजीनियरिंग करने वाले बाबा के बारे में जानते है..क्या कुछ है इनकी कहानी….महाकुंभ में अभय सिंह आईआईटी वाले बाबा के रूप में मशहूर हैं। वह जूना अखाड़े के शिविर में रहते हैं। यहां पर बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखने पहुंच रहे हैं। हालांकि उनकी अभी दीक्षा नहीं हुई है।
कांटे वाले बाबा
कांटों को देखते ही लोग देखते ही दूर हो जाते है इसलिए की कही कांटा उन्हे नुकसान न पहुंचे दे। लेकिन महाकुंभ में कांटे वाले बाबा काफी मशहूर हो रहे हैं। उन्होने यह दावा है कि मै करीब पिछले 40 साल से इस तरह से तपस्या कर रहे हैं।
कबूतर वाले बाबा
संगम के तट महाकुंभ में पहुंचे महंत राजापुरी जी महाराज अपने खास और अनोखे अंदाज के लिए वायरल हो रहे हैं। इनके सिर पर हमेशा से ही एक कबूतर बैठा रहता है। महंत राजापुरी ने शाही स्नान में भी कबूतर के साथ ही हिस्सा लिया। कहते है पिछले कई सालो से ये कबूतर इन्ही के सर पर बैठा रहता है…
लिलिपुट बाबा
लिलिपुट का नाम सुनते ही सामने वाला व्यक्ति हंसने लगाता है लेकिन लिलिपुट नाम के बाबा मशहूर संत गंगा गिरी 57 साल की उम्र के हैं। उनकी हाइट तीन फुट से भी कम है। उनकी कठिन तपस्या यहीं है कि उन्होंने पिछले 32 साल से स्नान नहीं किया है। लिलिपुट बाबा का कहना है कि उनके गुरु ने दीक्षा देते समय वचन लिया था कि वह कभी स्नान नहीं करेंगे।
रुद्राक्ष वाले बाबा
महाकुंभ मे शामिल हुए महंत गीतानंद गिरी पिछले 6 साल से रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं और बाबा का कहना है कि उन्होंने 12 साल के लिए यह शपथ लिया है। अब तक जितना रुद्राक्ष उन्होंने धारण किया है, उसका कुल वजन 45 किलो बताते हैं।
चाबी वाले बाबा
महाकुंभ में चाबी वाले बाबा जिनका असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा है। आपको बता दें वह उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले है। चाबी वाले बाबा भी काफी फेमस है। वह गले में 20 किलो से ज्यादा वजनी चाबी लटकाए रहते हैं। साथ ही कई अन्य आकार-प्रकार की चाबियां रखे हुए हैं।
पायलट बाबा
सोमेश्वर पुरी महाराज जूना अखाड़े से हैं। वह एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं। इसके बाद उन्होंने बैंक में भी नौकरी की और अब संन्यासी जीवन बिता रहे हैं। वह पायलट बाबा के रूप में मशहूर हैं।
अनाज बाबा
अनाज बाबा को देखने वाले काफी हैरान रह जाते हैं। उन्होंने सिर पर लगाए कपड़े में अनाज उगा रखा है। एक वीडियो में वह अपने सिर की पगड़ी खोलकर इसे दिखाते भी हैं। हालांकि एक अन्य वीडियो में वह पगड़ी खोलने की बात पर नाराज भी हो जाते हैं।
रबड़ी वाले बाबा
रबड़ी वाले बाबा भी महाकुंभ में काफी फेमस हैं। जिन्हें श्री महंत देवगिरि (श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी) के नाम से भी जाना जाता है इन्होंने अपनी अनूठी सेवा से धूम मचा दी है आपको बता दे सेक्टर (Sector 20) में उनके शिविर के सामने सुबह पूजा इत्यादि के बाद दूध का कड़ाहा चढ़ जाता है। बाबा इस दूध की रबड़ी बनाते है और भक्तों को परोसते हैं गुजरात से आए इस संत का नाम महंत देवगिरी महाराज है। तो हमने आज आपको देश के विभिन्न हिस्सों से आये साधू जो कि आम इंसान थे आज सनातन धर्म के ज्ञान और मानव सेवा के लिये आगे आये है..आप देखते रहे के दर्शन और हमें सबस्क्राईब करना न भूले..जय हो सनातन धर्म की
अमेरिका में धरती पर जन्मे बाबा मोक्षपुरी ने साल 2000 में पहली बार अपने बेटे और पत्नी के संग भारत यात्रा कर चुके है. वह बताते हैं, ये यात्रा मेरे जीवन की सबसे यादगार और न भूलने वाली घटना थी. इसी दौरान मैंने योग- ध्यान दोनो को जाना और पहली बार सनातन धर्म के बारे में समझा. भारतीय संस्कृति और परंपराओं ने मुझे गहराई से प्रभावित किया और अब मैने सन्यास ले लिया है..आईये सुनते है इनको..