मोदी सरकार में लगातार डिफेंस सेक्टर की ताकत बढ़ती जा रही है, हाल ही में सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसके चलते अब देश में ही फाइटर जेट्स के इंजन का निर्माण होने की संभावना है, जिसको लेकर अधिकारियों में मंथन चल रहा है
‘भारत ने पुराने दोस्त का लिया साथ’
यूं तो पूरी दुनिया भारत और रूस की दोस्ती की गवाह है, की कैसे जब दुनिया के ज्यादातर ताकतवर देशों ने भारत को घेरने की कोशिश की थी तब उस वक्त एक रूस ने ही भारत का साथ दिया था.जिसके चलते दुनियाभर में भारत का सर गर्व से ऊंचा हुआ था. वहीं एक बार फिर अपनी दोस्ती को निभाते हुए भारत ने रूस के साथ हाथ मिलाया है. अब दोनों देश मिलकर भारत में फाइटर जेट्स के इंजन बनाएंगे.
रूस दौरे पर हैं HAL के अधिकारी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL के बड़े अधिकारी रूस के दौरे पर हैं. वहां पर वो रूसी अधिकारियों से इस गंभीर विषय में बातचीत कर रहे है. अगर दोनों देशों के बीच समझौता हो गया तो भारत की निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी और हम पहले से ज्यादा ताकतवर फाइटर जेट्स बना सकेंगे. जिसके चलते भारत को काफी राहत की सांस मिलेगी.
भारत के लिए जरूरी है फाइटर जेट्स
भारत की सीमाएं तीन तरफ से पाकिस्तान से जुड़ा है जिसके चलते उसको अपनी सीमाओं की सुरक्षा करनी पड़ती है. जिसके लिए फाइटर जेट्स बहुत अहम भूमिका निभाते है. साथ ही किसी हमले से बचने के लिए भी फाइटर जेट्स बहुत उपयोगी होते है. पहले भी पाकिस्तान ने भारत के ऊपर कई बार हमला करने की हिम्मत कर चुका है हालांकि वो अलग बात हैं कि पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है लेकिन अगर भारत फाइटर जेट्स के इंजन का उत्पादन करने लगेगा तो जाहिर सी बात है कि देश की ताकत बढ़ेगी और दुश्मन देशों के अंदर भय कायम होगा.
रक्षा के साथ रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
भारत का लक्ष्य भविष्य में स्वदेशी इंजन के साथ अपने फाइटर जेट्स का निर्माण करना है ताकि देश की रक्षा क्षमता मजबूत हो और विदेशों से इंजन आयात पर निर्भरता कम हो. इसके साथ ही डिफेंस सेक्टर में रोजगार के अवसर भी बने और तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देगा .इस कदम से भारत को न केवल रक्षा तकनीकी में आत्मनिर्भरता मिल सकेगी, बल्कि यह रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करेगा.
वैश्विक रक्षा बाजार में भारत का होगा दबदबा
भारत और रूस दोनों मिलकर नई पीढ़ी के अत्याधुनिक और शक्तिशाली रोल फाइटर जेट्स का निर्माण करेंगे. जो न केवल भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करेगा. बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी अपनी जगह बना सकता है. दूसरे देश भारत से खरीदारी करेंगे इससे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी. भारतीय वायुसेना के 21 विमान रिटायर हो रहे है ऐसे में अगर रूस के साथ भारत की डील होती हो तो भारत का ऐशिया में दबदबा कायम होगा.
कैसा है सुखोई-75 विमान?
सुखोई-75 एक शानदार फाइटर जेट है. जिसकी स्पीड 1.8 मैक है. साथ ही इसकी रेंज लगभग 3 हजार किमी है. यह जेट रेडार की पकड़ से दूर रहता है और अपने साथ घातक 7.4 टन हथियार कैरी कर सकता है.जिसमें कि खतरनाक एयर टू एयर और ग्राउंड मिसाइलें है.जो कि पल भर में दुश्मन को निस्त ओ नाबूत कर सकती है.भारत और रूस मिलकर कई ऐसे खतरनाक विमानों का निर्माण करेंगे.