राजस्थान के सबसे बड़े जयपुर राज घराने इस वक्त काफी सुर्खियां में है क्योंकि जयपुर राज परिवार में फिर से संग्राम छिड़ गया है,
पुराने जमाने में राज घराने और नवाब हुआ करते थे. ये बातें तो आप सबने सुनीं होंगी. इतना ही नहीं उनके रुतबे और रुआब के बारे में भी सुना होगा. मगर आज के समय में शायद ही कोई राज घराना हो जिसने कोर्ट की सीढ़ियां ना चढ़ी हो. हर कोई संपत्ति के बंटवारे को लेकर कोर्ट तक पहुंच चुका है. इसी तरह एक बार फिर महाराणा प्रताप के वंशज उदयपुर के मेवाड़ राज परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति का विवाद खुलकर लोगों के सामने आ गया है. ये विवाद तकरीबन चार दशकों से ज्यादा समय से चल रहा है. ऐसा ही एक विवाद राजस्थान के सबसे बड़े जयपुर राज घराने का भी था, जो कि काफी सुर्खियां बटोर चुका है. जयपुर राज परिवार का 800 किलो सोने का मामला कोर्ट तक पहुंच गया था.
इंदिरा काल में हुई थी सोना जब्त की कार्रवाई
ये बात आपातकाल के दौर की है. उस वक्त केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी. इसी दौरान जयपुर राज परिवार के यहां आयकर विभाग की रेड पड़ी थी. तब जयपुर की राजमाता महारानी गायत्री देवी जिंदा थीं, जिनको इंदिरा गांधी बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थीं. इसी वजह से राजपरिवार पर ये कार्रवाई की गई थी. रेड के दौरान आयकर विभाग के दर्जनों अफसर जयपुर राजघराने पहुंचे और काफी खोजबीन के बावजूद भी कुछ नहीं मिला. बाद में मोती डूंगरी में खुदाई में 800 किलो सोना बरामद किया गया था. जिसे सरकार ने जब्त कर लिया था.
दिल्ली हाईकोर्ट में हुई थी सरकार की जीत
राजघराने की महारानी गायत्री देवी का 29 जुलाई 2009 को निधन हो गया. महारानी के निधन के बाद राजघराने के वारिस केंद्र सरकार के खिलाफ कोर्ट गए. उस वक्त गायत्री देवी के वंशजों द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में साल 1975 में जब्त किए गए सोने को सरकार से वापस दिलाने के लिए साल 2010 में अपील की गई थी. आयकर विभाग ने महारानी गायत्री देवी के पति महाराजा सवाई मान सिंह की निजी संपत्ति में दर्ज इस सोने को गोल्ड कंट्रोल एक्ट 1968 के तहत जब्त कर लिया गया था. हालां हालांकि बाद में गोल्ड कंट्रोल एक्ट 1968 एक्ट खत्म हो गया था.
1980 में दी गई थी आदेश को चुनौती
गोल्ड कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेटर (दिल्ली) के 1980 के आदेश को चुनौती देते हुए महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय के बड़े बेटे उत्तराधिकारी ब्रिगेडियर (रिटायर) सवाई भवानी सिंह द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया था कि इस बात पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि पूरा सोना गोल्ड कंट्रोल एक्ट के तहत घोषित नहीं किया गया था. इस अपील के जवाब में कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील एसके दुबे ने कहा था कि गोल्ड कंट्रोल एक्ट और भारतीय रक्षा नियम 1968 के तहत कच्चा सोना रखना अवैध है. इस तरह के सोने को छह महीने के अंदर मान्यता प्राप्त डीलर या सुनार को बेचना होता है.
साल 2002 में लड़ी थी जयपुर राजघराने ने कानूनी लड़ाई
जयपुर राजघराना साल 2002 में एक कानूनी लड़ाई लड़ा था. मगर तब भी राज परिवार को हार का सामना करना पड़ा था. साल 2002 में जयपुर की स्थानीय कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के अनुसार शाही किले से बरामद सोना एक छिपा खजाना था और इंडियन ट्रेजर ट्रूव एक्ट 1978 के तहत किसी