बरेली बदायूं बॉर्डर पर बन रहे रामगंगा ब्रिज से जीपीएस की गलत लोकेशन के चलते एक कार राम गंगा के अधूरे पुल से तकरीबन 20 फीट नीचे गिरी थी जिसके चलते कर सवार 3 लोगों की मौत हुई थी. ये तीनों लोग एक शादी में शामिल होने गुरुग्राम से बदायूं होते हुए बरेली के फरीदपुर जा रहे थे. इस हादसे के बाद डीएम बदायूं निधि श्रीवास्तव ने अधिकारियों के पेच कसे है. डीएम की सख्ती के बाद दातागंज तहसील के नायब तहसीलदार छवी राम ने गूगल मैप के क्षेत्रीय मैनेजर सहित 4 अभियंताओं और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.
ये पुल 2020 में सेंगशन हुआ था
बता दें 2023 में राज्य सेतु निगम ने बरेली के फरीदपुर को बदायूं की दातागंज तहसील से जोड़ने के लिए रामगंगा नदी पर एक पुल बनाया था और उस पर यातायात भी चालू कर दिया था मगर 2023 की बाढ़ में बदायूं की तरफ का एप्रोच रोड बह गया था तब से इस मार्ग पर यातायात बंद था, इस एप्रोच रोड की ज़िम्मेदारी PWD विभाग की थी और विभाग ने इस क्षेत्र के मार्गों की देखरेख के लिए दो सहायक अभियंता मुहम्मद आरिफ, अभिषेक कुमार और दो अवर अभियंता अजय गंगवार और महाराज सिंह तैनात थे. इन चारों अधिकारियों की ज़िम्मेदारी थी कि अगर एप्रोच मार्ग बंद है तो उस पर दीवार या रुकावट लगाकर रोका जाए और गूगल को भी यह रास्ता बंद करने के लिए कहा जाय मगर जब इतनी बड़ी घटना घट गई है तब इन अधिकारियों की गैर ज़िम्मेदारी नज़र आ रही है.
PWD अधिकारी ने काटी सवालों से कन्नी !
भले ही ब्रिज को राज्य सेतु निगम ने बनाया मगर एप्रोच रोड के रखरखाव की ज़िम्मेदारी PWD विभाग के पास थी, विभाग को यह भी पता था कि 2023 की बाढ़ में एप्रोच रोड बह गया है और उसके बनाने का प्रस्ताव शासन को भेज भी दिया है तब उस मार्ग पर सतर्कता क्यों नही बरती गई,उस मार्ग पर अवरोध क्यों नही लगाय गए, क्यों नही PWD ने गूगल से उस मार्ग को मैप से हटाने के लिए लिखा. इन सब सवालों को जब PWD के अधिशासी अभियंता नरेश कुमार से जानकारी करना चाही तो वो सवालों से बचते नजर आए.
अखिलेश का था ये पुल वाला प्रोजेक्ट !
आपको बता दें बदायूं से फरीदपुर बरेली को जोड़ने वाले पुल बदायूं में दातागंज तहसील के ग्राम मुड़ा पुख्ता के पास 2022 में बनना शुरू हुआ और 2023 में तैयार हुआ था. जोकि लगभग 46.10 करोड़ की लागत से बना था. जिसमें 24 पिलर बनाए गए थे तीन पिलर बदायूं की सीमा में थे बाकी 21 पिलर जनपद बरेली के फरीदपुर क्षेत्र में थे. ये रास्ता खुलने से बदायूं के दातागंज और फरीदपुर की दूरी काफी कम हो गई थी. बीजेपी सरकार में यह पूरा निर्माण हुआ था. इस पुल की मांग समाजवादी गवर्नमेंट में उठी थी और अखिलेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पास कर दिया था.
गूगल मैप से भटके मुसाफिर !
हम अगर सफर में अनजान रास्ते पर हों तो सबसे ज़्यादा तकनीक पर भरोसा करते हैं और गूगल मैप लगाकर अपने गंतव्य की ओर निश्चिंत हो जाते हैं. इस घटना में भी ऐसा ही हुआ इस पुल पर हादसा इसलिए हुआ क्योंकि मृतक जीपीएस के सहारे चलते जा रहे थे उन्हें नही मालूम था कि गूगल मैप उन्हें मौत की तरफ ले जा रहा है. 2023 की बरसात के बाद यानि एक साल से भी अधिक समय से यह रास्ता बंद है तो गूगल मैप ने इसे अपने ऐप पर अपडेट क्यों नही किया. एडवांस तकनीक के ज़रिए गूगल को यह तो पता चल रहा होगा कि इस मार्ग पर एक साल से यातायात क्यों नही है और अगर नही है तो क्या कारण है. क्या गूगल के अधिकारियों ने PWD से संपर्क करने की कोशिश की ? यह सब सवाल हैं जिनका जवाब गूगल को भी देना है.