Rajasthan High Court:राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने 13 साल की रेप पीड़ित को 7 महीने की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन यानि की गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा- अगर पीड़ित को डिलीवरी के लिए मजबूर किया गया तो उसे जीवनभर तकलीफ का सामन करना पडेगा।
जस्टिस सुदेश बंसल की अदालत ने अपने आदेश में कहा- अगर पीड़ित को डिलीवरी के लिए मजबूर किया गया तो उसे जीवनभर तकलीफ का सामन करना पडेगा। पीड़िता के वकील ने बताया कि पीड़िता नाबालिग है और वह करीब 28 माह से गर्भवती है. इसके पीडि़ता के माता-पिता गर्भपात कराने के लिए सहमत है. उन्होने आगे कहा- देश के कई सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट 28 माह की गर्भवती को भी गर्भपात (अबॉर्शन) की अनुमित दे चुके हैं.
कोर्ट ने कहा रेप के कारण गर्भवती होने पर गर्भावस्था में होने वाली पीड़ा को गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर क्षति माना जाएगा. बच्चे को जन्म देने से नाबालिग पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुंचने का अनुमान है. इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता को भ्रूण समाप्त करने की इजाजत नहीं देना उसे आजीवन बच्चे की देखभाल करने की जिम्मेदारी देने के लिए मजबूर करने के समान होगा। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश सुनाया।
कोर्ट ने महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट के अधीक्षक को निर्देश दिया और कहा है कि वह पीड़िता के परिजनों की सहमति से गर्भपात यानि की अबॉर्शन की प्रक्रिया पूरी करें। कोर्ट ने ये भी कहा कि यदि इस दौरान भ्रूण पाया जाता है तो उसे सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाए। राज्य सरकार भविष्य में उसके पालन पोषण का खर्च उठाएगी।