महाकुंभ 2025 में प्रयागराज में विभिन्न अनोखे संतों की उपस्थिति ने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया है. कोई संत मुफ्त में भोजन करा रहा है, तो कई तकनीक का प्रदर्शन करते हुए वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क बना रहा है.
महाकुंभ भारत का एक भव्य और आध्यात्मिक पर्व है, जिसमें लाखों श्रद्धालु, संत, महात्मा, और साधु-संत एकत्रित होते हैं. यह आयोजन हर 12 साल में एक बार चार पवित्र स्थलों-प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है. महाकुंभ में संतों का अंबार देखने को मिलता है, जहां विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत अपनी परंपराओं और विशेषताओं के साथ उपस्थित होते हैं.
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और परंपराओं का उत्सव है. यह आत्मा की शुद्धि, मोक्ष की प्राप्ति, और सामूहिक आध्यात्मिकता का प्रतीक है. गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने का महत्व विशेष रूप से बताया गया है. महाकुंभ में संतों का अंबार इस आयोजन की पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा को और बढ़ा देता है। यह अवसर संतों और आम लोगों के बीच संवाद और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का भी होता है. आइए कुछ अनोखे संतों के बारे में जानते हैं.
ओम नमः शिवाय बाबा
ये बाबा महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं, सफाईकर्मियों और कर्मचारियों को मुफ्त भोजन प्रदान कर रहे हैं. बड़े-बड़े बर्तनों में स्वयं भोजन बनाकर, वे सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं.
महंत रवींद्र पुरी और वॉकी-टॉकी संत
डिजिटल युग में संतों ने आधुनिक तकनीक को अपनाया है. निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी ने अपने संतों को वॉकी-टॉकी प्रदान किए हैं, जिससे वे मेले के दौरान एक-दूसरे से संपर्क बनाए रख सकें.
रुद्राक्ष वाले बाबा
संगम नगरी में रुद्राक्ष वाले बाबा अपनी अनोखी पहचान बना रहे हैं. उनके पास 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
हठ योगी बाबा महेश गिरी
बाबा महेश गिरी ने पिछले 9 महीनों से अपना एक हाथ ऊपर उठाए रखा है, जो उनकी तपस्या और संकल्प शक्ति का प्रतीक है. उनकी यह साधना श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.
महाकुंभ 2025 में इन संतों की उपस्थिति और उनकी अनोखी साधनाएं मेले की आध्यात्मिकता और विविधता को और भी समृद्ध बना रही हैं.