चुनाव में मिली हार को अक्सर विपक्ष स्वीकार नहीं कर पाता है. जिसके बाद EVM बदनाम हो जाती है और तमाम सवाल खड़े होते हैं कुछ ऐसा ही फिर से देखने को मिला है। कहा जाता है कि खेल में हार जीत तो लगी रहती है. हमें इससे उबर के आगे बढ़ना चाहिए और एक बार फिर नए सिरे से अगली बार की परीक्षा के लिए तैयारी करनी चाहिए. लेकिन अगर बात राजनीति की हो तो अक्सर विपक्ष अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पाता है.
लोकसभा चुनावों में मिली जीत के बाद भी खाली हाथ रहने के बाद अब विधानसभा चुनावों में विपक्ष को फिर से हार का सामना करना पड़ा है. जिसको लेकर अगर हम ये कहें कि विपक्ष अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहा है तो ये बिल्कुल भी गलत नहीं होगा. वहीं विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद विपक्ष ने एक बार फिर ईवीएम में खामी का राग छेड़ दिया है.
कांग्रेस ने खड़े किए EVM पर ढेरों सवाल
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया था. इस दौरान कांग्रेस ने दावा किया था कि ईवीएम बैटरी से चार्जिंग के अलग-अलग स्तरों के कारण अलग-अलग नतीजे सामने आए हैं. अपने जवाब में मेघवाल ने ये भी बताया है कि आयोग ने मशीनों को रखने और मशीनों की आवाजाही के दौरान सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ कठोर और सेफ प्रशासनिक प्रक्रियाएं लागू की हैं. इन प्रोटोकॉल में 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी, सशस्त्र सुरक्षा, लॉगबुक और जीपीएस आधारित वाहनों का इस्तेमाल किया जाना शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट में EVM मुद्दे से जुड़ी 42 याचिकाएं
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद से ही ईवीएम का मुद्दा सियासी गलियारों में एक बार फिर से छाया हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेताओं ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की वकालत की है. महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष ने ईवीएम को संदेह की निगाहों से देखा है. इस बीच सरकार ने ईवीएम से जुड़ी एक अहम जानकारी लोकसभा में सबके सामने रख दी है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट की मानें तो सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि ईवीएम पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग हाई कोर्ट में करीब 42 याचिकाएं दायर की गईं और हायर ज्यूडिशियरी ने बार-बार कहा है कि ईवीएम प्रामाणिक, भरोसेमंद और छेड़छाड़ रहित है.
EVM से नहीं हो सकती है छेड़छाड़- कानून मंत्री
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ और हैकिंग को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में बताया कि चुनाव आयोग के अनुसार ईवीएम एक स्टैंडअलोन मशीन है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार क्षमता नहीं है. इसलिए ये वायरलेस, ब्लूटूथ और वाई-फाई के जरिए संचार नहीं कर सकती है. मंत्री ने आगे कहा कि ईवीएम मशीन किसी भी छेड़छाड़ या हेरफेर को रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से पूरी तरह सुरक्षित है. ईवीएम में कई तकनीकी सुरक्षा विशेषताएं शामिल हैं. जैसे कि एक बार प्रोग्राम करने योग्य चिप अनाधिकृत पहुंच का पता लगाने वाला मॉड्यूल भी इसमें शामिल हैं.
प्रियंका गांधी ने की बैलट पेपर से चुनाव की मांग
वहीं कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ईवीएम का मुद्दा उठाते हुए बोला कि हमें ईवीएम की बजाय बैलट पेपर पर जाना होगा. इसके लिए अब कोई बीच का रास्ता नहीं हो सकता है, या तो ईवीएम या फिर बैलेट. कांग्रेस ने तय कर लिया है कि वो सेबी की तर्ज पर चुनाव आयोग को अपने निशाने पर रखेगी क्योंकि उसका मानना है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी गई है. बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद ही कांग्रेस ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए दावा किया था कि ईवीएम की बैटरी में अलग-अलग लेवल की चार्जिंग से अलग-अलग परिणाम प्राप्त हैं. चुनाव आयोग ने तब ये कहते हुए कांग्रेस की शिकायत को खारिज कर दिया था कि पार्टी चुनाव दर चुनाव सामान्य संदेह का धुआं उठा रही है.